सुनील साहू/चितौड़गढ़. समुद्र व महासागर में पाए जाने वाले मोतियों की खेती अब उदयपुर संभाग में पहली बार कपासन में की जा रही है. जी हां कपासन के दो युवाओं ने अपने खेत में कृत्रिम तालाब बनाकर हैदराबाद से सीप मंगवाकर सीप की खेती का प्लांट लगाया है. इन्होंने यह कार्य जनवरी 2023 से प्रारंभ किया था जिसकी पहली फसल इन्हें नवंबर व दिसंबर में प्राप्त होगी.
दरअसल यह उदयपुर संभाग के पहले विद्यार्थी है जिन्होंने इस क्षेत्र में अपने कदम बढ़ाए फिशरीज में ग्रेजुएट राहुल शर्मा व मानसी जैन अपने खेत में छोटे-छोटे तलाब बनकर मोती की खेती कर रहे हैं. राहुल का कहना है कि मोतियों की खेती के लिए 12 से 15 महीने का समय लगता है. वहीं मोती की खेती के लिए ताजा व मीठे पानी की आवश्यकता होती है. मोती की खेती के लिए कम से कम 6 से 8 फीट गहरे व 25 फीट चौड़ाई के कृतिम तालाब का निर्माण किया गया है. इस प्रकार के 6 से 7 कृत्रिम तालाब बनाए गए हैं. हमने अभी तक इन कृतिम तालाबों में 6 से 8 हजार सीप प्लांट किए है.
ऐसे मिली प्रेरणा
राहुल शर्मा ने बताया कि उन्हें मोती की खेती करने की प्रेरणा 2017 में उदयपुर में हुए किसान महोत्सव में जयपुर रेनवाल निवासी नरेंद्र जी गिरवा से मिली उसके बाद मोती की खेती करने के बारे में सोचा. जिसके बाद राहुल शर्मा ने 2021 में केंद्रीय मीठा जल जीव पालन संस्थान (फीफा) भुवनेश्वर उड़ीसा जाकर 6 महीने की ट्रेनिंग ली और उसके बाद जनवरी 2023 मे मोती की खेती करना प्रारंभ किया. हैदराबाद से प्रति सीट ₹6 लागत से सीप मांगवाये. राहुल ने बताया कि सीप हैदराबाद के अलावा हम महाराष्ट्र के जलगांव से भी मंगवा सकते हैं. भारत में मोतियों का सबसे बड़ा मार्केट हैदराबाद में है. हैदराबाद से ही विदेशों में मोती एक्सपोर्ट किए जाते हैं.
एक मोती की कीमत 250 रुपए से ₹1500 तक
राहुल के मुताबिक एक मोती की कीमत 250 रुपए से ₹1500 तक होती है अच्छी किस्म व डिजाइनर मोतियों की कीमत अंतरराष्ट्रीय मार्केट में 10000 तक भी मिलती है. राहुल के अनुसार भारतीय बाजार में एक मोती की कीमत 800 से 1000 रुपए भी मिले तो हम 100 सीपीयो से 8000 से 10000 तक का मुनाफा कमा सकते हैं. अभी राहुल के पास 5000 से 6000 सीपीया है जिनमे मार्गरिटीफेरा व ताजा पानी पेरलकीकिस्महै.राहुल ने बताया कि मोतियों का ज्यादा उपयोग माला, अंगूठी, कड़े, नोज पिन, टॉप्स,नेकलेस आदि बनाने में किया जाता है इसकी भस्म का उपयोग आयुर्वेद के क्षेत्र में किया जाता है मोती बनाने के लिए सर्वप्रथम मसल्स को लेकर इसके अंदर कैल्शियम पाउडर से बना न्यूकल्स को ई प्लांट किया जाता है एक मसल्स के अंदर दो न्यूकल्स का ई प्लांट किया जाता है इस पूरे प्रोसेस को सर्जरी कहते हैं.
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FIRST PUBLISHED : August 22, 2023, 16:41 IST
Author: newsinrajasthan
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