नॉन आरएएस से आईएएस में प्रमोशन का रास्ता साफ हो गया है। करीब डेढ़ साल पहले 7 जुलाई 2023 को राजस्थान हाईकोर्ट ने आरएएस एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए नॉन आरएएस सर्विस से आईएएस बनाने पर रोक लगा दी थी। 26 नवंबर को सुनवाई पूरी करने के साथ कोर्ट ने फैसला रिजर्व कर लिया था।
जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने आज आरएएस एसोसिएशन की याचिका को खारिज कर दिया। याचिका खारिज होने के साथ ही प्रमोशन पर लगी रोक भी हट गई है। कोर्ट ने आरएएस एसोसिएशन पर व्यक्तिगत हितों के चलते याचिका लगाकर कोर्ट का समय बर्बाद करने पर 5 लाख का जुर्माना भी लगाया है।
सरकार ने कहा- व्यक्तिगत स्वार्थ के चलते आए सरकार की ओर से पैरवी करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने कहा- सरकार नियमों के तहत ही नॉन आरएएस से आईएएस में प्रमोशन कर रही थी। नियमों में साफ है कि सरकार प्रमोशन के 15 प्रतिशत पदों पर नॉन आरएएस अधिकारियों का आईएएस में प्रमोशन कर सकती है।
अभी तक हुए सभी प्रमोशन में सरकार ने कभी भी इस सीमा को नहीं लांघा। वहीं, शेष पदों पर आरएएस अधिकारियों को ही आईएएस में पदोन्नत किया जा रहा है। आरएएस एसोसिएशन की ओर से लगाई याचिका से लगता है कि यह केवल निजी स्वार्थ के चलते लगाई गई है। केवल इस आशंका से की इन्हें प्रमोशन के अवसर कम मिलेंगे। इस आधार पर यह याचिका लगाई गई है।
उन्होंने कहा- सरकार नॉन आरएएस से आईएएस में उन अधिकारियों को प्रमोट करती है, जो अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ होते हैं। कोर्ट की रोक के चलते सरकार एक्सपर्ट अधिकारियों की सेवाओं का लाभ नहीं ले पा रही है। इससे सरकार की नीतियां बनाने का काम भी प्रभावित हो रहा है। ऐसे में रोक को हटाया जाना चाहिए।
RAS एसोसिएशन को क्या थी आपत्ति राजस्थान प्रशासनिक सेवा परिषद की ओर से बहस करते हुए एडवोकेट तनवीर अहमद ने कहा- राज्य सरकार केवल विशेष परिस्थितियां होने पर ही अन्य सेवाओं के अधिकारियों को आईएएस में पदोन्नत कर सकती है। उसमें भी स्टेट सिविल सर्विसेज के 33.33 प्रतिशत कोटे का 15 प्रतिशत अन्य सेवाओं से ले सकती है। सरकार तो हर साल पर्याप्त आरएएस ऑफिसर होने के बाद भी अन्य सेवाओं से आईएएस में पदोन्नति के लिए यूपीएससी को सिफारिश भेज रही है।
द इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (रिक्रूटमेंट) रूल्स 1954 के तहत राज्य सरकार को यह पावर है कि वह नॉन सिविल सर्विसेज के अधिकारियों को आईएएस में पदोन्नत करने की सिफारिश यूपीएससी को भेज सकती है। इसके लिए जरूरी है कि राज्य में विशेष परिस्थितियां उत्पन्न हो गई हों। वहीं, जिस अधिकारी का इस पद के लिए चयन किया जा रहा है, उस में कोई विशेष योग्यता हो। जो मौजूदा सिविल सर्विसेज के किसी भी अधिकारी में नहीं हो। केवल उसी सूरत में नॉन सिविल सर्विसेज के अधिकारी को आईएएस में पदोन्नत किया जा सकता है। सरकार तो हर साल इसे रिजर्व कोटा मानकर नॉन RAS का IAS में प्रमोशन कर रही हैं।