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11 साल पुराने एकल-पट्टा प्रकरण में HC में सुनवाई शुरू:विधायक धारीवाल सहित तीन पूर्व अफसर है आरोपी, सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे निर्देश

करीब 11 साल पुराने एकल पट्टा प्रकरण में हाईकोर्ट ने एक बार फिर से सुनवाई शुरू कर दी हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद आज मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव की एकलपीठ में मामले की सुनवाई शुरू हुई। प्रकरण में विधायक शांति धारीवाल सहित यूडीएच विभाग के तीन पूर्व अफसरों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं।

हाईकोर्ट ने आज सभी पक्षों को मामले में अतिरिक्त दस्तावेज पेश करने और आरटीआई एक्टिविस्ट अशोक पाठक को इंटरनीवर बनने के लिए प्रार्थना पत्र पेश करने को कहा है। अदालत ने जनवरी के अंतिम सप्ताह में मामले को फाइनल सुनवाई के लिए रखा है।

दरअसल, अशोक पाठक की एसएलपी पर सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के दो आदेशों को रद्द करते हुए फिर से मामले की सुनवाई करने के निर्देश दिए थे।

पहले हाई कोर्ट ने केस वापस लेने का माना था सही

सुप्रीम कोर्ट ने 5 नवम्बर को हाईकोर्ट के 17 जनवरी 2023 और 15 नवंबर 2022 को दिए दोनों आदेश रद्द कर दिए थे। 17 जनवरी के आदेश से हाईकोर्ट ने तत्कालीन एसीएस जीएस संधू, डिप्टी सचिव निष्काम दिवाकर और जोन उपायुक्त ओंकारमल सैनी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई को बंद कर दिया था।

दरअसल, एसीबी की दो क्लोजर रिपोर्ट को एसीबी कोर्ट ने खारिज करते हुए 18 अप्रैल 2022 को कुछ बिंदुओं पर डीआईजी स्तर के अधिकारी से जांच कराने के निर्देश दिए थे। इसके बाद एसीबी की ओर से 19 जुलाई 2022 को तीसरी क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई थी। इसमें भी एसीबी ने एकल पट्टा प्रकरण में किसी भी तरह अनियमितताएं नहीं पाई थीं।

इस पर एसीबी ने कोर्ट से इन आरोपियों के खिलाफ दायर चार्जशीट को वापस लेने की एप्लिकेशन लगाई थी। इसे एसीबी कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इनकी अपील पर 17 जनवरी 2023 को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के संधू, दिवाकर और सैनी के खिलाफ केस वापस लेने को सही माना था।

धारीवाल को भी हाईकोर्ट से मिली थी राहत

इस पूरे मामले में परिवादी की ओर से शांति धारीवाल को भी आरोपी बनाने का प्रार्थना पत्र लगाया गया था। इसके खिलाफ धारीवाल ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। इस पर हाईकोर्ट ने धारीवाल को राहत देते हुए 15 नवंबर 2022 को एसीबी कोर्ट में चल रही प्रोटेस्ट पिटिशन सहित अन्य आपराधिक कार्रवाई को रद्द कर दिया था।

धारीवाल की ओर से कहा गया था कि उनका एफआईआर से लेकर चालान में कहीं भी नाम नहीं है। एसीबी की ओर से पेश क्लोजर रिपोर्ट में भी उनके खिलाफ कोई अपराध प्रमाणित नहीं माना गया। लेकिन, उसके बाद भी एसीबी कोर्ट ने प्रकरण में अग्रिम जांच के आदेश दिए, जो कि गलत है।

अब हाईकोर्ट को 6 महीने में देना है फैसला अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हाईकोर्ट ने फिर से मामले की सुनवाई शुरू कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश खुद इस मामले की सुनवाई करे। वहीं 6 माह के अंदर अपना फैसला दे। जिसके बाद आज से मामले की सुनवाई शुरू हो गई हैं।

एकल पट्‌टा जारी करने पर हुई थी गिरफ्तारी

29 जून 2011 को जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) ने गणपति कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर शैलेंद्र गर्ग के नाम एकल पट्टा जारी किया था। इसकी शिकायत परिवादी रामशरण सिंह ने 2013 में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में की थी। एसीबी में शिकायत के बाद तत्कालीन एसीएस जीएस संधू, डिप्टी सचिव निष्काम दिवाकर, जोन उपायुक्त ओंकारमल सैनी, शैलेंद्र गर्ग और दो अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी हुई थी। इनके खिलाफ एसीबी कोर्ट में चालान पेश किया था। मामला बढ़ने पर विभाग ने 25 मई 2013 को एकल पट्टा निरस्त कर दिया था।

एकल पट्टा प्रकरण में तत्कालीन वसुंधरा सरकार के समय 3 दिसंबर 2014 को एसीबी ने मामला दर्ज किया था। आरोपियों को खिलाफ चालान भी पेश किया था। उस समय तत्कालीन यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल से भी पूछताछ की गई थी। प्रदेश में सरकार बदलते ही गहलोत सरकार में एसीबी ने मामले में तीन क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी थीं। तीनों क्लोजर रिपोर्ट में सरकार ने इस मामले में पूर्व आईएएस जीएस संधू, पूर्व आरएएस निष्काम दिवाकर और ओंकारमल सैनी को क्लीन चिट दी थी।

राजस्थान सरकार ने लिया था यू-टर्न गहलोत सरकार के बाद वर्तमान भजनलाल सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में 22 अप्रैल 2024 को जवाब पेश करते हुए धारीवाल सहित अन्य सभी लोगों को क्लीन चिट देते हुए कहा था कि एकल पट्टा प्रकरण में कोई मामला नहीं बनता है। कुछ दिन पहले ही सरकार ने अपने जवाब से यू-टर्न लेते हुए सुप्रीम कोर्ट में नया एफिडेविट पेश किया।

इसमें सरकार की ओर से कहा गया कि कांग्रेस विधायक शांति धारीवाल और तीन अधिकारियों पर मामला बनता है। जो एफिडेविट अप्रैल 2024 में सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया था। उसमें वरिष्ठ अधिकारियों और एएजी से सलाह नहीं ली गई थी। सरकार ने मामले से जुड़े केस अधिकारी को भी बदल दिया है।

Kashish Bohra
Author: Kashish Bohra

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