सूरतगढ़ के सिटी थाने की कस्टडी में हत्यारोपी युवक नरेश उर्फ नरसी कुलड़िया ने आधी रात को रजाई के कवर से फंदा लगाकर हवालात में खुदकुशी कर ली। इस मामले में न्यायिक जांच के साथ-साथ आईजी के निर्देश पर विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है। हवालात में रात के समय आरोपी के सुसाइड के मामले में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ शनिवार को विभागीय कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है, लेकिन पुलिस अधिकारी फिलहाल इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं।
मृतक के परिजनों ने मर्ग दर्ज करवाई थी और प्रकरण के संबंध में मजिस्ट्रेट जांच भी जारी है। पुलिस के आला अधिकारियों की मौजूदगी में मेडिकल बोर्ड से पोस्टमॉर्टम करवाए जाने के बाद अब पीएम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। फिलहाल, दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई जांच के बाद की जाएगी, जो पुलिस के उच्च अधिकारियों के अधीन है।
ज्ञात हो कि मृतक नरेश कुलड़िया उर्फ नरसी (23) पुत्र पालाराम, निवासी डीडवाना, को सिटी पुलिस ने चार महीने पहले हुई हत्या के मामले में थानाधिकारी दिनेश सारण द्वारा गिरफ्तार किया था। पुलिस के अनुसार, नरेश को बुधवार को गिरफ्तार किया गया और रात को हवालात में बंद किया गया। लगभग डेढ़ बजे रात को नरेश ने सर्दी से बचाव के लिए दी गई रजाई के कवर का फंदा बनाकर खुदकुशी कर ली। घटना की सूचना पर गुरुवार सुबह कलेक्टर डॉ. मंजू समेत पुलिस के आला अधिकारी सूरतगढ़ पहुंचे। न्यायिक मजिस्ट्रेट देवेंद्र मीणा ने सिटी थाने में घटनास्थल का निरीक्षण किया और परिजनों के बयान दर्ज किए। साक्ष्य जुटाने के लिए एफएसएल की टीम भी मौके पर बुलाई गई।
पुलिस के मुताबिक, नरेश उर्फ नरसी कुलड़िया अगस्त माह में हुए अशोक गोदारा हत्याकांड में आरोपी था और पुलिस से बचने के लिए फरारी काट रहा था। गिरफ्तारी के बाद हवालात में उसकी खुदकुशी से कई सवाल उठ रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर हवालात में उसने खुदकुशी कैसे की और पुलिस को इसकी भनक क्यों नहीं लगी?
इसके अलावा यह भी सवाल उठ रहा है कि नरेश ने खुदकुशी क्यों की? अब यह देखना होगा कि पुलिस कस्टडी में हत्या के आरोपी युवक द्वारा की गई खुदकुशी के मामले में जिम्मेदारी किसकी निकलकर सामने आती है।
सीसीटीवी कैमरे के भरोसे रह गई पुलिस
सिटी थाने के सेटअप पर नजर डालें तो, जहां संतरी की ड्यूटी रहती है, वहां खड़े रहने के बाद हवालात का दरवाजा दिखाई नहीं देता। हालांकि संतरी की यह जिम्मेदारी है कि वह लगातार हवालात में बंद लोगों की निगरानी करे। हवालात के दरवाजे के ठीक सामने सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, लेकिन इन कैमरों की मॉनिटरिंग के लिए लगी टीवी स्क्रीन थाना के सर्वर रूम में स्थित है। अब यह सवाल उठता है कि इन सर्वर रूम में स्क्रीन की 24 घंटे मॉनिटरिंग नहीं होना पुलिस की लापरवाही को दर्शाता है, जिससे यह साफ होता है कि पुलिस कैमरों के भरोसे रह गई।