12 अप्रैल 2018 का दिन। एक उम्रदराज शख्स जयपुर के गांधीनगर पुलिस थाने पहुंचा। थाने के गेट पर खड़े संतरी से कहा, ‘सर, मुझे गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करानी है।’
जवान ने उन्हें ड्यूटी अफसर से मिलने को कहा। ड्यूटी अफसर को बातों में व्यस्त देख वो शख्स बेचैनी से इधर-उधर देखने लगा। नजर पड़ने पर सब इंस्पेक्टर ने पूछा, ‘बताएं साहब, क्या बात है?’
‘थानेदार साहब, मेरे बेटे की पत्नी गायब है, उसका कुछ पता नहीं चल रहा है कि वो कहां गई है।’
‘वो कब से गायब है?’ ड्यूटी ऑफिसर ने पूछा।
‘साहब, वह एक दिन पहले से गायब है।’
‘वो आप के बेटे के पास ही तो रहती होगी, फिर वह गायब कैसे हो गई?’ ड्यूटी अफसर ने उसके चेहरे पर नजरें गड़ाकर पूछा, ‘कहीं ऐसा तो नहीं कि वह अपनी मर्जी से किसी के साथ चली गई हो?’
‘नहीं थानेदार साहब, ऐसी कोई बात नहीं है।’ उस शख्स ने ड्यूटी अफसर को आश्वस्त करते हुए कहा, ‘मेरा बेटा आयकर विभाग में इंस्पेक्टर है। उसकी पोस्टिंग गुजरात के वडोदरा में है। मेरी बहू यहीं जयपुर के बापूनगर में एक गर्ल्स हॉस्टल में रहकर टीचर भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रही थी।’
ड्यूटी अफसर ने उस शख्स को एक कागज देते हुए कहा, ‘आप अपनी लिखित रिपोर्ट दे दो, हम रिपोर्ट दर्ज कर के आपकी बहू की तलाश जरूर करेंगे।’
उस शख्स ने कागज लेकर थाना प्रभारी के नाम एक एप्लीकेशन लिखी। ड्यूटी अफसर ने उस एप्लिकेशन पर सरसरी नजर डाली।
रिपोर्ट दर्ज कराने आया वह शख्स अलवर जिले के कठूमर का रहने वाला बृजेंद्र सिंह था। उसका बेटा लोकेश चौधरी आयकर विभाग में निरीक्षक था।
लोकेश चौधरी गुजरात के वडोदरा शहर में तैनात होने के कारण वहीं रहता था। लोकेश की शादी सवा साल पहले भरतपुर जिले के सिनसिनी गांव में रहने वाले रामकुमार सिनसिनवार की बेटी मुनेश से हुई थी।
मुनेश शिक्षक भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रही थी। इसके लिए वह जयपुर के बापूनगर में डी-126 कृष्णा मार्ग पर स्थित एक हॉस्टल में रहती थी। मुनेश इसी हॉस्टल से 11 अप्रैल 2018 को अचानक से लापता हो गई थी।
गांधीनगर पुलिस थाने में 12 अप्रैल 2018 को बृजेंद्र सिंह की लिखित रिपोर्ट पर मुनेश की गुमशुदगी का मामला दर्ज कर लिया गया। रिपोर्ट में बृजेंद्र सिंह ने अपनी वधू के गुम होने में किसी पर शक जाहिर नहीं किया था, इसलिए पुलिस ने सामान्य जांच शुरू की।
मुनेश की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाने के दूसरे ही दिन उसका पति लोकेश चौधरी जयपुर आकर पुलिस अफसरों से मिला। अपनी पत्नी को तलाश करने की गुहार लगाई। पुलिस अधिकारियों ने परेशानी समझते हुए आश्वासन दिया। साथ ही उसकी हरसंभव मदद का भरोसा दिया। फिर भी मुनेश का कहीं कोई सुराग नहीं मिला।
1-2 दिन बाद लोकेश फिर से जयपुर कमिश्नरेट के आला पुलिस अफसरों से मिला। उनसे शिकायत करते हुए कहा कि गांधीनगर थाना पुलिस सही तरीके से उसकी पत्नी की तलाश नहीं कर रही है। लोकेश का कहना था कि मुनेश का अपहरण हुआ है। वह बार-बार पुलिस अफसरों से मिल कर अपनी पत्नी को तलाश करने का दबाव बनाने लगा।
तत्कालीन पुलिस उपायुक्त (पूर्व) कुंवर राष्ट्रदीप ने मुनेश की तलाश के लिए अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (पूर्व) हनुमान प्रसाद मीणा और गांधीनगर के सहायक पुलिस आयुक्त राजपाल गोदारा के सुपरविजन में इंस्पेक्टर सुरेंद्र सिंह, सब इंस्पेक्टर कृष्ण कुमार, कॉन्स्टेबल ओमप्रकाश और नरेंद्र कुमार की एक टीम गठित कर दी।
पुलिस टीम ने हॉस्टल के आसपास के सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगाले। मुनेश और लोकेश चौधरी सहित अन्य संदिग्ध लोगों के मोबाइल नंबरों की कॉल डिटेल्स भी निकलवाई। पुलिस ने मुनेश व लोकेश के दोस्तों का भी पता लगाया। साथ ही दोनों की पुरानी हिस्ट्री भी पता कराई। अब तक हुई जांच में पुलिस अफसरों को मुनेश के गुम होने का मामला संदिग्ध नजर आने लगा था। लेकिन कोई क्लू भी नहीं मिल पा रहा था।
पुलिस इस मामले की तह तक जाने के लिए पड़ताल में जुटी हुई थी कि इसी बीच 21 अप्रैल को मुनेश के पिता रामकुमार सिनसिनवार ने गांधीनगर थाने में एक लिखित रिपोर्ट दी। बताया कि मेरी बेटी मुनेश 11 अप्रैल से ही गायब है। मेरा दामाद लोकेश जयपुर आया तो हमने उसे मोबाइल चेक कराने को कहा था। इस पर लोकेश ने अपना मोबाइल फॉर्मेट कर डाटा डिलीट कर दिया।
मुनेश के पिता ने रिपोर्ट में लिखा कि लोकेश व उसके घर वाले मेरी बेटी को दहेज के लिए प्रताड़ित करते रहते थे। उन्होंने इसी साल फरवरी में मुनेश की 10 लाख रुपए की एफडी तुड़वा कर पैसे निकलवा लिए थे। रिपोर्ट में आगे लिखा था कि लोकेश और उसके घर वालों ने मिलकर मेरी बेटी मुनेश का षड्यंत्र पूर्वक अपहरण करके उसकी हत्या कर दी है। इस पर गांधीनगर थाने में उसी दिन मुकदमा दर्ज कर लिया गया था।
मुनेश के पिता की शिकायत के बाद पुलिस समझ चुकी थी कि ये साधारण गुमशुदगी तो नहीं है। मामले की जांच मालवीय नगर के तत्कालीन सहायक पुलिस आयुक्त (ट्रेनी) IPS ऑफिसर कावेंद्र सिंह सागर को सौंपी गई। उन्होंने रिपोर्ट दर्ज होते ही लोकेश चौधरी के बारे में जानकारी जुटाई। पता चला कि वो जयपुर में ही है। उसी दिन यानी 21 अप्रैल को लोकेश चौधरी को पुलिस ने थाने लाकर पूछताछ की। उसकी हिस्ट्री और मोबाइल कॉल डिटेल्स के आधार पर उससे कई सवाल किए गए।
पुलिस सवालों के आगे लोकेश पहले तो अपने आप को पाक साफ बताता रहा लेकिन बार-बार उसके बदलते बयानों से पुलिस का शक गहराता चला गया। वो ज्यादा देर तक पुलिस के आगे नहीं टिक सका। उसने कबूल किया कि उसी ने अपनी पत्नी मुनेश की हत्या की है।
लोकेश के इस सनसनीखेज खुलासे से पुलिस ऑफिसर्स दंग रह गए थे। अब तक अपनी पत्नी के गुम होने का नाटक रचकर जो इनकम टैक्स इंस्पेक्टर पुलिस पर मामले में ढिलाई बरतने का आरोप लगा रहा था, दरअसल उसने ही 10 दिन पहले ही अपनी पत्नी की हत्या कर दी थी।
अब मुनेश का कातिल पुलिस के सामने था। पर कई सवाल भी थे?
- लोकेश ने ऐसा क्यों किया?
- उसके साथ इस वारदात में और कौन-कौन शामिल थे? प्लानिंग कैसे की और इसे कैसे अंजाम दिया?
- मुनेश के लापता होने का ड्रामा क्यों? और सबसे अहम सवाल कि मुनेश की लाश कहां है?