Home » जयपुर » 1 हजार जान लेने वाली खूनी सड़क ‘देसूरी की नाल’:पिकनिक पर जा रहे बच्चों की भी यहीं मौत; 14 खतरनाक मोड़-एरिया के नाम भी डराने वाले

1 हजार जान लेने वाली खूनी सड़क ‘देसूरी की नाल’:पिकनिक पर जा रहे बच्चों की भी यहीं मौत; 14 खतरनाक मोड़-एरिया के नाम भी डराने वाले

राजसमंद जिले में 8 दिसंबर को बड़ा हादसा हुआ। पिकनिक मनाने जा रहे स्कूली बच्चों से खचाखच भरी बस पलट गई। इस हादसे में 3 बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई।

अरावली की पहाड़ियों से गुजरने वाली ‘देसूरी की नाल’ में जहां ये हादसा हुआ, वो राजस्थान की सबसे खूनी सड़क मानी जाती है। जब से यह सड़क बनी है, अब तक सैकड़ों हादसों में 1000 से ज्यादा लोगों की जान ले चुकी हैं। महज 8 किलोमीटर लंबी सड़क में 14 खतरनाक मोड़ हैं।

इन्हीं में से एक है पंजाब मोड़, जहां रविवार (8 दिसंबर) को हादसा हुआ। इसी से थोड़ी दूरी पर नाग देवता मोड़ है, जहां 2007 में एक ऐसा भीषण हादसा हुआ था कि 89 लोग मारे गए थे। एक बार फिर स्कूली बच्चों की मौत की घटना के बाद यह खूनी सड़क चर्चा में है।

आखिर क्यों ये खतरनाक मोड़ जानलेवा बने हुए हैं? सड़क में क्या खामियां हैं? क्यों अभी तक इनमें सुधार नहीं किया गया है? यह जानने के लिए भास्कर टीम मौके पर जाकर एक्सपर्ट के जरिए सवालों का जवाब जाना।

देसूरी की नाल में बस पलटने से 3 बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई।
देसूरी की नाल में बस पलटने से 3 बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई।

कहां है देसूरी की नाल?

पाली जिले के देसूरी उपखंड और राजसमंद के चारभुजा क्षेत्र के बीच अरावली की पहाड़ियों में देसूरी की नाल से रास्ता गुजरता है। इसे 1952 में पाली और राजसमंद को जोड़ने के लिए बनाया गया था। इस पूरे रास्ते में एक तरफ अरावली की पहाड़ियां हैं और दूसरी तरफ गहरी खाई। ड्राइवर की एक चूक जान पर आफत बनाने वाली होती है।

इस रास्ते में 14 खतरनाक घुमावदार मोड़ हैं। इनमें से 11 घुमाव राजसमंद और तीन घुमाव पाली जिले की सीमा में आते हैं। इसे स्टेट हाईवे 162 बना रखा है। लेकिन हाईवे के नियमों के मुताबिक सड़क की चौड़ाई 28 फीट होने की बजाय महज 18 और कुछ जगह 20 फीट ही रखी गई है। कम चौड़ाई का सबसे बड़ा नुकसान यही है कि अगर गाड़ी थोड़ी भी स्पीड में है तो ड्राइवर को मोड़ नजर नहीं आता। गाड़ी सीधे खाई में गिरती है।

देसूरी नाल के 4 मोड़ सबसे खतरनाक

देसूरी नाल का काफी क्षेत्र चारभुजा नाथ मंदिर थाना क्षेत्र में आता है। इस थाने में 10 साल से ज्यादा समय तक पुलिस इंस्पेक्टर रहे भंवर सिंह अपने ने कई हादसों को रिपोर्ट किया है। वहां के हालातों और उनकी वजहों को करीब से समझा है। अब देसूरी नाल संघर्ष समिति बनाकर वे लोगों को अवेयर कर रहे हैं। भंवर सिंह ने बताया कि 8 किलोमीटर लंबी सड़क में यूं तो हर घुमाव पर हादसे होते हैं लेकिन इनमें 4 सबसे खतरनाक हैं।

1. शनि महाराज मंदिर मोड़ : यह L आकार का मोड़ है। राजसमंद से पाली जाने के लिए घाट सेक्शन में प्रवेश करते समय सबसे पहले यह मोड़ आता है। यहां काफी तेज ढलान है। हादसे राजसमंद की तरफ से उतरते हुए वाहनों के होते हैं।

2. पंजाब मोड़ : यह मोड़ भी 90 डिग्री के एंगल में L शेप में है। यहां भी 30 डिग्री से ज्यादा ढलान है। राजसमंद से पाली आने वाले वाहनों का अक्सर इसी मोड़ पर ही ब्रेक फेल हो जाते हैं या वाहन कंट्रोल में नहीं आता है। रिपोर्ट्स की मानें तो इस मोड़ पर हुए हादसों में अब तक 500 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं।

रविवार को जिन 3 बच्चों की मौत पंजाब मोड़ के पास हादसा होने से ही हुई थी। वहां अब सुरक्षा के नाम पर मात्र सड़क के किनारे पत्थर लगाए हैं।

करीब 8 किलोमीटर लंबे इस राजमार्ग पर कुल 14 घुमावदार मोड़ हैं।
करीब 8 किलोमीटर लंबे इस राजमार्ग पर कुल 14 घुमावदार मोड़ हैं।

3. नाग देवता मोड़ : पंजाब मोड़ से महज 1 किलोमीटर की दूरी पर आगे बढ़ते ही नाग देवता का मंदिर है। देसूरी के रहने वाले समाजसेवी घीसूलाल सैन ने बताया कि पंजाब मोड़ के बाद नाग देवता मंदिर मोड़ दूसरा खतरनाक मोड़ है।

क्योंकि इसके एक तरफ गहरी खाई है। वर्ष 2007 में यहां देश का सबसे बड़ा सड़क हादसा यहीं हुआ था। एक ट्रक में भरकर यात्री रामदेवरा जा रहे थे। ट्रक बेकाबू हुआ और खाई में गिर गया था। एक ही हादसे में 89 लोगों की जान गई थी। इसके बाद भी कई बड़े हादसे हुए हैं। अ बतक इस मोड़ पर मौत का आंकड़ा करीब 150 से ज्यादा है।

4. कसाई पुलिया : यह S आकार की ढलान वाली पुलिया है। राजसमंद की तरफ से आने वाले वाहनों की स्पीड ढलान पर तेज हो जाती है। उधर पाली की तरफ से चढ़ाई के कारण स्पीड तेज रखते हैं। ऐसे में इस मोड़ पर कई वाहन हादसे का शिकार हुए हैं। यहां भी 100 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं।

पाली की तरफ देसूरी की नाल में प्रवेश पर लगा चेतावनी बोर्ड। बारिश के दिनों में हादसे ज्यादा होते हैं।
पाली की तरफ देसूरी की नाल में प्रवेश पर लगा चेतावनी बोर्ड। बारिश के दिनों में हादसे ज्यादा होते हैं।

कोर्ट में भी लगाई है याचिका

भंवर सिंह ने बताया कि इस मार्ग के सुधार के लिए 2019 से उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका लगा रखी है। कई बार आंदोलन भी किए हैं। लेकिन अभी तक इसका कोई समाधान नहीं निकला। समाजसेवी घीसूलाल ने बताया कि 8 किलोमीटर के रास्ते में मोबाइल नेटवर्क नहीं आते हैं। रविवार को स्कूली बस का हादसा करीब 9:30 बजे हो गया था। लेकिन घायल लोग मोबाइल नेटवर्क नहीं होने से किसी से संपर्क नहीं कर पाए थे। ऐसे में बस में सवार एक युवक ने करीब डेढ किलोमीटर झीलवाड़ा की तरफ आकर लोगों को हादसे की सूचना दी थी। जिसके बाद पुलिस व राहत दल मौके पर पहुंचे।

रविवार को हुए हादसे के बाद इस तरह से पत्थर लगाकर काम चलाऊ इंतजाम किए गए हैं।
रविवार को हुए हादसे के बाद इस तरह से पत्थर लगाकर काम चलाऊ इंतजाम किए गए हैं।

एक्सपर्ट बोले- L शेप वाले मोड़ पर विजिबिलिटी कम, इसलिए हादसे

IIT दिल्ली से सर्टिफाइड रोड सेफ्टी ऑडिटर नेहा खुल्लर इस मुद्दे पर 12 साल से काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि देसूरी की नाल में सड़क हादसे के 2 बड़े कारण हैं।

1. सड़क इंजीनियरिंग : ज्यादातर ढलान और पहाड़ी क्षेत्र में सड़क की चौड़ाई कम होती है। वाहनों में सुटेबल स्पीड कंट्रोल करने का कोई डिवाइस नहीं होता है। इस कारण से ड्राइवर बड़े वाहनों को कंट्रोल नहीं कर पाता है। इसके साथ ही L शेप वाले मोड़ पर विजिबलिटी बिल्कुल कम हो जाती है। जिसके कारण कई बार ड्राइवर नए रास्तों पर वाहन को कंट्रोल नहीं कर पाता है। पहाड़ी क्षेत्रों में लाइटिंग की भी कमी होती है।

2. वाहन इंजीनियरिंग : सड़क हादसे वाले वाहनों में फिटनेस का इश्यू रहता है। जिसे भूला दिया जाता है। देसूरी नाल वाले हादसे में भी यही हो सकता है। क्षमता से अधिक लोगों को भरने से बसों के ब्रेक नहीं लग पाते। ओवरलोड वाहन ढलान वाले क्षेत्र में बेकाबू होता हैं, वहां ब्रेक लगाना चाहें तो भी नहीं लगता है। कंडम व पुराने वाहनों की जांच के लिए पिछले डेढ़ साल से आई रेड प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है। लेकिन इसके बाद भी सड़क पर फिटनेस की कमी वाले वाहन भी दौड़ रहे हैं। इनके लिए सख्ती जरूरी है।

विधानसभा में पेश हो चुकी हादसों की रिपोर्ट

23 अगस्त 2019 को देसूरी की नाल में एक हादसा हुआ था। कार में सवार एक ही परिवार के 9 लोगों की हादसे में मौत हो गई थी। इस हादसे के बाद विधानसभा में भी इस सड़क को लेकर सवाल उठे थे। उस समय 30 सितंबर 2019 को राजसमंद आरटीओ ने विधानसभा अध्यक्ष को अपनी रिपोर्ट पेश की थी। रिपोर्ट में देसूरी की नाल 8 किलोमीटर की रोड में तुरंत सुधार की जरूरत बताई थी। यह भी बताया गया था कि सुधार होने के बाद ही यहां के हादसे रूकेंगे।

Kashish Bohra
Author: Kashish Bohra

0
0

RELATED LATEST NEWS

  • 7k Network
  • infoverse academy
  • Poola Jada

Top Headlines

उपराष्ट्रपति बोले-डिग्री पर डिग्री लेने से कुछ नहीं होगा:RSS के कृष्णगोपाल ने कहा-15 हजार के लिए युवा देशभर में जा रहे, ये मॉडल सही नहीं

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कौशल को भी स्थान दिया गया है। डिग्री पर