राजस्थान क्राइम फाइल्स के पार्ट-1 में आपने पढ़ा कि किस तरह राजस्थान के रहने वाले एक इनकम टैक्स ऑफिसर लोकेश ने पहले पत्नी मुनेश के गायब होने की बातें कहीं। पुलिस पर पत्नी को ढूंढने में लापरवाही करने के आरोप लगाकर प्रेशर बनाता रहा। एक शक के चलते हुई पूछताछ के बाद पुलिस ने दावा किया कि लोकेश ने मुनेश को 10 दिन पहले ही मार दिया था।
पूछताछ में मर्डर की पूरी कहानी भी पुलिस अपनी चार्जशीट में दर्ज कर चुकी थी कि कैसे साजिश को अंजाम दिया? बावजूद इसके करीब 6 साल बाद आरोपी पति कोर्ट से बरी हो गया। बचाव पक्ष के मुताबिक, पुलिस ने जांच में कई खामियां छोड़ दी थीं। इसके चलते कई आरोप कोर्ट में साबित नहीं हो पाए।
पुलिस की पड़ताल में जो मर्डर की कहानी सामने आई थी और उसके बाद लोकेश के बरी होने के क्या कारण थे? राजस्थान क्राइम फाइल्स के पार्ट 2 में पढ़िए…
सबसे पहले मर्डर की वो कहानी जो चार्जशीट में दर्ज हुई पूछताछ में पुलिस को लोकेश ने बताया कि अपने एक साथी के सहयोग से उसने अपनी पत्नी मुनेश को जयपुर से गुजरात के वडोदरा बुलाया था। वहां हत्या कर उसकी लाश जमीन में गाड़ दी थी। उसने इस वारदात को अंजाम अपनी प्रेमिका से शादी करने के लिए दिया था। इसके बाद पुलिस ने उसी दिन लोकेश को गिरफ्तार कर लिया।
तत्कालीन ट्रेनी IPS ऑफिसर कावेंद्र सिंह सागर के नेतृत्व में पुलिस की एक टीम लोकेश को साथ लेकर वडोदरा गई। लोकेश की निशानदेही पर 22 अप्रैल को वहां हरणी एयरपोर्ट क्षेत्र स्थित तृषा डुप्लेक्स में बगीचे की जमीन खोदकर गाड़ा मुनेश का शव बरामद कर लिया। मुनेश का शव बगीचे में एक कोने में करीब 7 फीट गहरा गड्ढा खोदकर दफनाया गया था।
लोकेश ने मुनेश का शव जमीन में गाड़ कर उस पर करीब 15 किलो नमक भी डाल दिया था ताकि शव जल्दी से गल जाए। बदबू भी न फैले। बाद में गड्ढे में मिट्टी भर दी गई। फिर उसे लेवल कर पानी का छिड़काव कर दिया था ताकि मिट्टी जम जाए।
23 अप्रैल को जयपुर पहुंच कर पुलिस ने मुनेश के शव का SMS हॉस्पिटल में पोस्टमार्टम कराया। शव उनके परिजनों के सुपुर्द कर दिया। इसके बाद लोकेश के दोस्त प्रवेंद्र को 23 अप्रैल की रात गिरफ्तार कर लिया। आरोप है कि लोकेश ने प्रवेंद्र को जयपुर भेज कर मुनेश को वडोदरा बुलवाया था। उसी की मदद से हत्या के बाद मुनेश का शव ठिकाने लगाया था। प्रवेंद्र आयकर निरीक्षक लोकेश का दोस्त और उसी के गांव का रहने वाला है।
फिल्मी तर्ज पर रची गई थी मर्डर की कहानी पुलिस की ओर से लोकेश और प्रवेंद्र से की गई पूछताछ में सामने आया कि अलवर जिले के कठूमर के रहने वाले लोकेश की शादी 5 फरवरी, 2017 को भरतपुर जिले के सिनसिनी गांव के रहने वाली मुनेश से हुई थी। शादी के बाद कुछ समय वह पति के साथ वडोदरा में रही, फिर ससुराल आ गई। बीच में जब भी मौका मिलता, लोकेश अपने गांव आ जाता या मुनेश वडोदरा चली जाती।
मुनेश पढ़ी-लिखी थी। वह टीचर बनना चाहती थी। उसने लोकेश से जयपुर में रहकर तैयारी करने की इच्छा जाहिर की। मुनेश की इस इच्छा पर लोकेश को कोई एतराज नहीं था। लोकेश ने जयपुर के बापू नगर में डी-126 कृष्णा मार्ग पर स्थित एक गर्ल्स हॉस्टल में मुनेश के रहने की व्यवस्था कर दी। मुनेश इसी हॉस्टल में रह कर अपनी पढ़ाई कर रही थी।
पुलिस ने अपनी जांच में पाया कि लोकेश की जिंदगी में पत्नी मुनेश से पहले एक लड़की थी। उसका अफेयर अभी तक चल रहा था। लोकेश अपनी प्रेमिका से शादी करना चाहता था। यह कानूनी-सामाजिक दृष्टि से संभव नहीं था। सरकारी नौकरी करते हुए दूसरी शादी करने पर उसे नौकरी गंवाने का खतरा था।
इसलिए मुनेश को ठिकाने लगाने की लोकेश साजिश रचने लगा। पुलिस के हर संभावित सवालों के जवाब भी तय करने लगा। लोकेश जानता था कि मोबाइल फोन लोकेशन के आधार पर पुलिस उस तक पहुंच जाएगी। इसलिए उसने मुनेश के मर्डर प्लान करने और इसे अंजाम देने में हर कदम बहुत सोच-समझ कर उठाया।
पति पर संदेह का सबसे पहला कारण अफेयर और अवैध संबंध होते हैं। इसलिए उसने अपनी लव स्टोरी को छिपाने के लिए अपनी प्रेमिका से बात करना बंद कर दिया था। एक साथी कर्मचारी की आईडी से नई सिम खरीदी। इस सिम से वह केवल अपनी प्रेमिका से ही बात करता था।
लोकेश ने खुद को शक से दूर रखने के लिए मुनेश को एक महीने पहले ही जयपुर में स्कूटी दिलवाई। रोजाना पत्नी मुनेश को फोन करता था ताकि दोनों के बीच अच्छे संबंधों की बात साबित हो सके। अपनी साजिश को अंजाम देने के लिए उसे एक पार्टनर की जरूरत थी। उसका दोस्त प्रवेंद्र गुजरात में ही नौकरी करता था। लोकेश ने उसे आयकर विभाग में नौकरी दिलवाने का झांसा देकर साजिश में शामिल किया।
साजिश के तहत प्रवेंद्र ने वडोदरा में हरणी एयरपोर्ट क्षेत्र स्थित तृषा डुप्लेक्स में किराए का मकान लिया। लोकेश व प्रवेंद्र ने मिलकर 10 अप्रैल को इस मकान के बगीचे के एक कोने में मजदूरों से करीब 7 फीट गहरा गड्ढा खुदवाया। पड़ोसियों को शक नहीं हो, इसके लिए ग्रीन नेट से उसे कवर कर दिया।
लोकेश इतना शातिर दिमाग का था कि खुद की फोन लोकेशन वडोदरा में ही बनाए रखना चाहता था। गड्ढा खुदवाने के बाद उसने अपने दोस्त प्रवेंद्र को उसी रात वडोदरा से जयपुर के लिए भेजा। प्रवेंद्र का मोबाइल खुद के पास रखा। उसे दूसरा नया मोबाइल देकर जयपुर भेजा।
प्रवेंद्र दूसरे दिन यानी 11 अप्रैल को जैसे ही जयपुर पहुंचा, लोकेश ने अपनी पत्नी को फोन कर कहा कि मैं एक केस में फंस गया हूं, बड़ी परेशानी में हूं। मेरा दोस्त जयपुर आया हुआ है। तुम उसके साथ जल्दी से वडोदरा आ जाओ। मैं अपने दोस्त से कह देता हूं कि वह तुम्हें हॉस्टल से ले लेगा।
पति को फंसता देख मुनेश प्रवेंद्र के साथ जाने के तैयार हो गई। अब साजिश के तहत प्रवेंद्र ने बहाने से मुनेश का मोबाइल ले लिया और उसकी सिम निकाल ली। मुनेश के मोबाइल की सिम निकालने से उसकी आखिरी लोकेशन जयपुर में गांधीनगर, बापूनगर व लालकोठी इलाके में आती रही। ताकि पुलिस का संदेह गुजरात और वडोदरा तक न पहुंचे। 12 अप्रैल की दोपहर प्रवेंद्र और मुनेश वडोदरा स्थित किराए के मकान पर पहुंचे। वहां लोकेश पहले से मौजूद था।
मुनेश जैसे ही अपने पति लोकेश से मिलने आगे बढ़ी, लोकेश ने उसका गला घोंट दिया। पीछे से प्रवेंद्र ने उसका मुंह दबा लिया। इससे मुनेश की चीखें भी किसी ने नहीं सुनीं। हत्या के बाद लोकेश और प्रवेंद्र ने मिलकर उसका शव पहले से खुदवाए हुए गड्ढे में दफना दिया।
जयपुर पहुंचकर पुलिस पर बनाया प्रेशर अब लोकेश ने अपने पिता को फोन करके कहा कि मुनेश का फोन नहीं लग रहा। वह हॉस्टल में भी नहीं मिल रही है। पुलिस में इसकी रिपोर्ट दर्ज करा दो। बेटे के कहने पर पिता ने उसी दिन गांधीनगर थाने में मुनेश के गुम होने की रिपोर्ट दर्ज करा दी।
इसके अगले दिन लोकेश वडोदरा से जयपुर पहुंचा। पूरी तरह अनजान बनते हुए उसने पुलिस को मुनेश के किडनैप की आशंका जताई। बताया कि मुनेश से मोबाइल पर आखिरी बार 11 अप्रैल को बात हुई थी। उस समय उसने कहा था कि वह किसी दोस्त के पास जा रही है।
बाद में पुलिस ने जब मुनेश की तलाश में लोकेश और मुनेश के मोबाइल की कॉल डिटेल्स निकाली तो लोकेश की वडोदरा से जयपुर में मुनेश से 11 अप्रैल को बात होने की पुष्टि हुई। मुनेश के मोबाइल की टावर लोकेशन भी जयपुर में गांधीनगर, बापूनगर और लालकोठी के आसपास ही आ रही थी। ऐसे में पुलिस लोकेश पर शक ही नहीं कर पा रही थी। लोकेश इसी बात का फायदा उठाकर पुलिस पर दबाव बनाना शुरू किया ताकि पुलिस मुनेश की किडनैप स्टोरी में उलझ कर रह जाए।
मामले का खुलासा होने से पहले तक लोकेश अपने ससुराल वालों के साथ मिलकर मुनेश की तलाश में जुटा रहा ताकि उस पर किसी को कोई शक न हो। इस बीच लोकेश ने अपना मोबाइल हैंग होने का बहाना बनाकर उसे फॉर्मेट करा दिया। इससे उस का संदिग्ध डाटा और मैसेज भी डिलीट हो गए। लेकिन मुनेश के पिता को शक हुआ तो उन्होंने मुकदमा दर्ज कराया।
पुलिस ने इन्वेस्टिगेशन में लोकेश द्वारा फोन फॉर्मेट होने की बात कहने से उस पर शक गहरा गया था। वहीं पुलिस ने उसकी सोच से आगे बढ़कर लंबे टाइम की कॉल रिकॉर्डिंग निकाली तो उसकी लवर और अफेयर का खुलासा हो गया था। पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक लोकेश ने सख्ती से पूछताछ के बाद अपराध स्वीकार भी कर लिया था।
फिर क्यों बरी हुआ आरोपी? इस मामले में इन्वेस्टिगेशन के दौरान पुलिस ने कई खामियां बरती। इन सबका फायदा कोर्ट ट्रायल में लोकेश को मिला। गड्ढे से बरामद शव करीब दो सप्ताह पुराना था और पुलिस ने उस शव का डीएनए टेस्ट भी नहीं करवाया था। इसके चलते कोर्ट में ये प्रमाणित ही नहीं हो पाया कि क्या वो शव मुनेश का ही था। आखिरकार कोर्ट ने इन्हीं संदेह का लाभ देते हुए 14 फरवरी 2024 को लोकेश को बरी कर दिया।
बचाव पक्ष के वकील पुरुषोत्तम बनवाड़ा ने बताया कि पुलिस ने जिस लाश को रिकवर किया, उसका डीएनए नहीं लिया। ऐसे में वो लाश किसकी थी? ये निरुत्तर सवाल था। वहीं पुलिस ने जेसीबी चालक के बयान और एसडीएम के बयान तक कोर्ट में पेश नहीं किए थे। कोर्ट ने माना कि परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की कड़ी से कड़ी नहीं जोड़ पाएंगे। इसी आधार पर संदेह का लाभ देते हुए लोकेश और उसके साथी को बरी कर दिया गया।
फिलहाल इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील पेंडिंग है। मुनेश के भाई प्रभंजन ने बताया कि इस मामले को लेकर हाई कोर्ट में अपील कर दी थी। जो स्वीकार हो गई है, अब सुनवाई पेंडिंग है।