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अतुल सुभाष पर पत्नी ने अप्राकृतिक सेक्स जैसे 9 केस किए, क्या सुसाइड आखिरी रास्ता था; सब कुछ जो जानना जरूरी

‘मैंने जज से कहा- NCRB की रिपोर्ट बताती है कि देश में बहुत सारे पुरुष झूठे केस की वजह से आत्महत्या कर रहे हैं तो पत्नी बीच में बोली- तुम भी आत्महत्या क्यों नहीं कर लेते हो। इस बात पर जज हंस पड़ीं और कहा कि ये केस झूठे ही होते हैं, तुम परिवार के बारे में सोचो और केस को सेटल करो। मैं केस सेटल करने के 5 लाख रुपए लूंगी।’

34 साल के अतुल सुभाष का ये वीडियो तो आपने देख लिया होगा। सुसाइड से पहले उन्होंने देश के जस्टिस सिस्टम और पुरुषों के खिलाफ झूठे केस पर कई गंभीर सवाल उठाए, जिसकी हर तरफ चर्चा हो रही है।

सवाल 1: अतुल सुभाष की पूरी कहानी क्या है, उन्होंने सुसाइड क्यों किया? जवाबः मूल रूप से बिहार के रहने वाले अतुल सुभाष बेंगलुरु में एक प्राइवेट कंपनी में AI सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम करते थे। अतुल के अलावा उनके परिवार में माता-पिता और एक छोटा भाई है।

अतुल ने आखिरी वीडियो में कहा था,

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मुझे लगता है कि मेरे लिए मर जाना ही बेहतर होगा, क्योंकि जो पैसे मैं कमा रहा हूं उससे मैं अपने ही दुश्मन को बलवान बना रहा हूं। मेरे ही टैक्स के पैसे से ये अदालत, ये पुलिस और पूरा सिस्टम मुझे और मेरे परिवार और मेरे जैसे और भी लोगों को परेशान करेगा।

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सवाल 2: अतुल सुभाष ने अपने आखिरी वीडियो से कौन-से बड़े सवाल खड़े किए? जवाबः अतुल ने सुसाइड से पहले 120 मिनट का एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर किया। इसमें उन्होंने 4 बड़े सवाल खड़े किए…

1. पत्नी से प्रताड़ना: अतुल ने कहा, ‘मैं पत्नी को हर महीने 40 हजार रुपए मेंटेनेंस देता हूं। इसके बावजूद वो बच्चे को पालने के लिए खर्च के तौर पर 2-4 लाख रुपए महीने की डिमांड कर रही है। मेरी पत्नी मुझे मेरे बेटे से न तो मिलने देती है, न कभी बात कराती है।’

2. जज ने पत्नी का साथ देकर न्याय नहीं किया: अतुल ने कहा कि मेरी पत्नी ने ये केस सेटल करने के लिए पहले 1 करोड़ रुपए की डिमांड की थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 3 करोड़ रुपए कर दिया। जब मैंने 3 करोड़ रुपए की डिमांड के बारे में जौनपुर की फैमिली कोर्ट की जज को बताया तो उन्होंने भी पत्नी का साथ दिया।

3. जज पर रिश्वत मांगने का आरोप: अतुल ने कहा जज नीता कौशिक कोर्ट में करप्शन करती हैं। इनका पेशीदार माधव आम आदमी से 50 रुपए और बड़े लोगों से 500 से 1 हजार रुपए लेता है, तभी मन मुताबिक डेट मिलती है। नीता कौशिक रिश्वत लेकर फैसला देती हैं। उन्होंने केस टालने के लिए 5 लाख रुपए की रिश्वत मांगी।

4. पत्नी के घरवालों को कानून का खौफ नहीं: अतुल ने बताया कि जब इस मामले को लेकर उसने सास से बात की, तो सास ने कहा कि तुमने अभी तक सुसाइड नहीं किया, मुझे लगा आज तुम्हारे सुसाइड की खबर आएगी। इस पर अतुल ने उन्हें जवाब दिया कि मैं मर गया तो तुम लोगों की पार्टी कैसे चलेगी। सास ने जवाब दिया कि ‘तुम्हारा बाप पैसे देगा। पति के मरने के बाद सब पत्नी का होता है। तुम्हारे मां-बाप भी जल्दी मर जाएंगे। उसमें भी बहू का हिस्सा होता है। पूरी जिंदगी तेरा पूरा खानदान कोर्ट के चक्कर काटेगा।’

अतुल ने अपनी आखिरी इच्छा में लिखा, ‘मेरे केस की सुनवाई का लाइव टे​लिकास्ट हो। पत्नी मेरा शव न छू सके। जब तक प्रताड़ित करने वालों को सजा न हो, मेरी अस्थियां विसर्जित न हों। यदि भ्रष्ट जज, मेरी पत्नी और उसके परिजन को कोर्ट बरी कर दे तो मेरी अस्थियां उसी अदालत के बाहर किसी गटर में बहा दी जाएं। मेरे बेटे की कस्टडी मेरे माता-पिता को दी जाए।’

अतुल सुभाष का लेटर।
अतुल सुभाष का लेटर।

सवाल 3: दहेज प्रताड़ना के लिए क्या कानून है और क्या उसका दुरुपयोग हो रहा है? जवाबः भारतीय कानून में दहेज लेना और देना दोनों ही अपराध है। इसके लिए इंडियन पीनल कोड (IPC) की धारा 498A के तहत केस दर्ज किया जाता था। IPC बदलकर BNS हुई तो ये प्रावधान अब धारा 85 और 86 में हैं।

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, वैवाहिक जीवन में सिर्फ दहेज की वजह से प्रॉब्लम नहीं होती। कई अन्य वजहों से भी विवाद हो सकते हैं। जैसे- किसी की सास-ससुर से नहीं बनती या पति ज्यादा वक्त नहीं दे पाता। इसके लिए कानून में अलग से कोई रेमेडी नहीं है, इसलिए सबक सिखाने के लिए दहेज प्रताड़ना के तहत मुकदमा लिखवा दिया जाता है। इसके प्रावधान बेहद सख्त हैं।

इन मामलों में महिला को आरोपों का सबूत नहीं देना पड़ता। केस दर्ज होने के बाद प्रूफ ऑफ बर्डेन पुरुषों पर होता है यानी उसे खुद अपनी बेगुनाही साबित करनी पड़ती है।

10 दिसंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने एक केस की सुनवाई के दौरान कहा कि महिलाएं धारा 498A का दुरुपयोग कर रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा-

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कभी-कभी पत्नी की गलत मांगों को पूरा करने के लिए पति और उसके परिवार वालों के खिलाफ IPC की धारा 498A का सहारा लिया जाता है, इसको देखते हुए कोर्ट ने पहले भी चेतावनी दी है कि बिना किसी ठोस सबूत के घरेलू उत्पीड़न के आरोप किसी क्रिमिनल केस का आधार नहीं बन सकते।

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कलकत्ता हाईकोर्ट ने तो यहां तक कहा कि धारा 498A का दुरुपयोग कर महिलाओं ने ‘लीगल टेरर’ यानी कानूनी आतंक मचा रखा है।

सवाल 4: अननैचुरल सेक्स के लिए धारा 377 क्या है और क्या इसका दुरुपयोग हो रहा है? जवाबः कोई भी व्यक्ति किसी पुरुष, महिला या जानवर के साथ अप्राकृतिक तौर से संबंध बनाता है तो उस पर धारा 377 लगाई जाती थी। यह एक अपराध है। इसमें दस साल तक की सजा हो सकती है।

भारतीय कानून के मुताबिक पति पर रेप का आरोप नहीं लगाया जा सकता, इसलिए कई बार अप्राकृतिक सेक्स के आरोप लगाए जाते हैं, ताकि पति को बेल न मिल सके। केवल पेनिट्रेशन होना ही इस तरह के केस को साबित करने के लिए काफी होता है।

हालांकि, 2024 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने एक पति की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसकी पत्नी द्वारा लगाए गए जबरन अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के आरोपों को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘अगर पत्नी की उम्र 15 साल से ज्यादा है और वो शादीशुदा है, तो पति अगर पत्नी के साथ किसी भी तरह का यौन व्यवहार करता है तो उसे रेप की कैटेगरी में नहीं रखा जा सकता है।’

भारतीय न्याय संहिता यानी BNS में अप्राकृतिक सेक्स की धारा शामिल नहीं की गई है।

सवाल 5: अतुल सुभाष को 3 साल में 120 बार बुलाया गया, 40 बार पेशी, क्या लंबी कानूनी प्रक्रिया भी एक हैरेसमेंट है? जवाबः अतुल के पिता पवन कुमार ने कहा,

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अतुल कहता था कि सुलह कराने वाले कोर्ट में कानून के मुताबिक काम नहीं होता है, सुप्रीम कोर्ट के नियम भी यहां नहीं माने जाते हैं। उसे बेंगलुरु से 40 बार जौनपुर जाना पड़ा था। उसकी पत्नी उस पर एक के बाद एक केस दर्ज कराती गई। वह जरूर बहुत थक गया होगा, लेकिन उसने हमें कभी कुछ नहीं कहा।

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सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अश्विनी दुबे के मुताबिक, ‘इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत की कानूनी प्रक्रिया काफी लंबी है। जब तक अदालती कार्यवाही का टाइम मैनेजमेंट और जजों की कमी को पूरा नहीं किया जाएगा, तब तक ऐसी स्थिति बनी रहेगी।’

15 दिसंबर 2023 में लोकसभा में जानकारी देते हुए कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया था कि 1 दिसंबर 2023 तक देशभर की अदालतों में 5 करोड़ 8 लाख 85 हजार 856 केस सुनवाई के लिए बाकी हैं। इनमें से 61 लाख से ज्यादा केस 25 हाईकोर्ट्स में पेंडिंग हैं। जिला अदालतों में 4.4 करोड़ लंबित मामले हैं। इनमें से 70% से अधिक मामले ऐसे हैं जो 5 साल से ज्यादा समय से पेंडिंग हैं।

अतुल सुभाष ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी अपना वीडियो पोस्ट किया।
अतुल सुभाष ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी अपना वीडियो पोस्ट किया।

सवाल 6: गुजारा भत्ता क्या होता है और इसकी रकम कैसे तय होती है? जवाबः जब एक व्यक्ति दूसरे कमजोर या अक्षम व्यक्ति को खाना, कपड़ा, घर, एजुकेशन और मेडिकल जैसी बेसिक जरूरत के लिए आर्थिक मदद करता है तो उसे गुजारा-भत्ता यानी मेंटेनेंस कहते हैं। हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के तहत गुजारा-भत्ता दो तरह का होता है-

1. अंतरिम गुजारा-भत्ता: जब मामला कोर्ट में लंबित है तो उस दौरान के लिए जो गुजारा-भत्ता तय किया जाता है, वह अंतरिम गुजारा-भत्ता होता है। जैसे- तलाक का कोई केस यदि कोर्ट में गया तो अंतिम फैसला आने तक कोर्ट एक धनराशि तय करता है। जब तक मुकदमा चलेगा, पति को वह तय रकम पत्नी को गुजारे-भत्ते के रूप में अदा करनी होगी।

2. परमानेंट गुजारा-भत्ता: तलाक के अंतिम फैसले में कोर्ट द्वारा तय की गई राशि पति को आजीवन पत्नी को देनी होती है। इसके साथ कई बार कुछ नियम और शर्तें भी हो सकती हैं। जैसे कि जब तक पत्नी दोबारा विवाह न करे आदि। स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा 36 और 37 में गुजारे-भत्ते के बारे में जरूरी प्रावधान किए गए हैं।

इसके अलावा स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा-36 और 37 में भी गुजारा भत्ता के लिए प्रावधान हैं। मेंटेनेंस कितना देना होगा ये व्यक्ति की आय, संपत्ति, जिम्मेदारी और जरूरतों को देखकर तय किया जाता है। इसकी कोई अपर या लोअर लिमिट तय नहीं है। अतुल सुभाष का दावा है कि उसे हर महीने 80 हजार रुपए गुजारा भत्ता देने को कहा गया था।

सवाल 7: क्या अतुल सुभाष के पास कोई और कानूनी रास्ता नहीं बचा था? जवाबः अश्विनी दुबे के मुताबिक अतुल को भारत की ज्युडिशियरी पर भरोसा रखना चाहिए था। वे निचली अदालतों में सुनवाई न होने पर सुप्रीम कोर्ट में भी केस दर्ज कर सकते थे। अतुल सुभाष को आत्महत्या का रास्ता नहीं चुनना चाहिए था, लेकिन उस समय उनकी मानसिक स्थिति कैसी थी, यह कह पाना मुश्किल है।

सवाल 8: अगर पत्नी या ससुराल वाले झूठे केस में फंसाएं तो क्या पुरुषों के पास कोई विकल्प है? जवाबः अश्विनी दुबे के मुताबिक, ‘दहेज प्रताड़ना में झूठा केस दर्ज कराने वालों पर कोई केस नहीं होता। अभी ऐसा कोई कानून नहीं है जो इस मामले में झूठा केस दर्ज कराने वालों को सजा दिला सके। ऐसे में पीड़ित पुरुषों के पास सिविल रेमेडी और क्रिमिनल रेमेडी के दो ही ऑप्शन बचते हैं।

सवाल 9: अतुल ने अपने आखिरी वीडियो में पत्नी, सास और जज पर जो आरोप लगाए हैं, उसमें आगे क्या कार्रवाई हो सकती है? जवाबः अश्विनी दुबे कहते हैं कि अतुल ने वीडियो में ज्युडिशियरी और निकिता पर जो आरोप लगाए वो अभी साबित नहीं हुए। अतुल ने वीडियो में निकिता पर उत्पीड़न के आरोप लगाए। अतुल के भाई ने निकिता के घर वालों पर भी केस दर्ज करवाया है।

अगर निकिता इस मामले में दोषी पाई जाती हैं, तो उन पर BNS की धारा 108 अबेटमेंट ऑफ सुसाइड यानी आत्महत्या के लिए उकसाने के तहत मुकदमा चलेगा। इसके तहत उनको 10 साल तक की सजा हो सकती है। वहीं, जौनपुर की सिविल कोर्ट जज रीता कौशिक पर लगे आरोपों की जांच हायर ज्युडिशियरी कर सकती है।

अतुल सुभाष ने जज पर 5 लाख रुपए रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है।
अतुल सुभाष ने जज पर 5 लाख रुपए रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है।

सवाल 10: क्या पुरुषों की आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं? जवाबः 2023 में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता महेश कुमार तिवारी ने एक याचिका दायर की। इसमें उन्होंने राष्ट्रीय पुरुष आयोग की स्थापना की मांग की। यह आयोग घरेलू हिंसा के शिकार विवाहित पुरुषों के बढ़ते आत्महत्या के मामलों से निपटने के लिए काम करेगा।

महेश कुमार ने भारत में आकस्मिक मौतों पर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2021 की रिपोर्ट का हवाला दिया। इस रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में देशभर में 1.64 लाख से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की। इसमें 81 हजार से ज्यादा लोग विवाहित पुरुष थे और लगभग 28 हजार विवाहित महिलाएं थीं।

NCRB की रिपोर्ट में बताया गया कि 2021 में लगभग 33.2% पुरुषों ने पारिवारिक समस्याओं और 4.8% ने वैवाहिक समस्याओं की वजह से आत्महत्या की।

Kashish Bohra
Author: Kashish Bohra

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