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राज्यसभा में संविधान पर चर्चा; निर्मला सीतारमण बोलीं- कांग्रेस ने परिवार-वंशवाद के लिए किए संविधान में संशोधन

नई दिल्ली: राज्यसभा की कार्यवाही जारी है. राज्यसभा में संविधान पर चर्चा की जा रही है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चर्चा की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि हमारे संविधान ने संकटों का सामना किया है. संविधान में 75 साल की यात्रा का उल्लेख है. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 50 से अधिक देश स्वतंत्र हो गए थे और उन्होंने अपना संविधान लिख लिया था. 

लेकिन कई लोगों ने अपने संविधान को बदल दिया है, न केवल उनमें संशोधन किया है बल्कि वस्तुतः उनके संविधान की संपूर्ण विशेषता को बदल दिया है. लेकिन हमारा संविधान निश्चित रूप से समय की कसौटी पर खरा उतरा है और इसमें समय-समय पर संविधान में संशोधन किए गए. संविधान हमें संविधान निर्माताओं के त्याग को दर्शाता है.

कांग्रेस ने नियमों का उल्लंघन किया :

वित्त मंत्री ने इमरजेंसी का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस ने नियमों का उल्लंघन करते हुए कानून बदला और लोकसभा का कार्यकाल 6 साल कर दिया. पूरे विपक्ष को जेल भेज दिया. इसके बाद यह सब बदलाव हुआ. क्या यह सही तरीका था. 1950 में सुप्रीम कोर्ट ने कम्युनिस्ट पत्रिका “क्रॉस रोड्स” और आरएसएस की संगठनात्मक पत्रिका “ऑर्गनाइजर” के पक्ष में फैसला सुनाया था. लेकिन जवाब में, (तत्कालीन) अंतरिम सरकार ने सोचा कि पहले संविधान संशोधन की आवश्यकता थी और इसे कांग्रेस द्वारा लाया गया था और यह अनिवार्य रूप से स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिए था.

इसलिए भारत, एक लोकतांत्रिक देश जो आज भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गर्व करता है, ने पहली अंतरिम सरकार को एक संवैधानिक संशोधन के साथ आते देखा जिसका उद्देश्य भारतीयों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाना था और संविधान को अपनाने के एक वर्ष के भीतर था. वित्त मंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने 1951 में संशोधन कर अभिव्यक्ति की आजादी पर कैंची चलाई.

राजनारायण का केस पेंडिंग था और कांग्रेस ने संविधान में संशोधन कर दिया:

इसके बाद 1975 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में राजनारायण का केस पेंडिंग होने के बावजूद कांग्रेस ने 39वें संशोधन के जरिये यह प्रावधान जोड़ दिया कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के निर्वाचन को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती. इसके लिए ही किस्सा कुर्सी का बैन कर दिया गया. वित्त मंत्री ने शाहबानो केस का जिक्र करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम महिला को न्याय दिलाने के लिए जो आदेश दिया, उसके खिलाफ कांग्रेस ने कानून बना दिया कि महिला को न्याय नहीं मिलना चाहिए.

कांग्रेस ने मजरूह सुल्तानपुरी और बलराज साहनी दोनों को जेल में डाल दिया:

1949 में मजरूह सुल्तानपुरी और बलराज साहनी दोनों को जेल में डाल दिया गया था. 1949 में मिल मजदूरों के लिए आयोजित एक बैठक के दौरान मजरूह सुल्तानपुरी ने जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ लिखी गई एक कविता सुनाई और इसलिए उन्हें जेल जाना पड़ा. उन्होंने इसके लिए माफ़ी मांगने से इनकार कर दिया और उन्हें जेल जाना पड़ा. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का कांग्रेस का रिकॉर्ड सिर्फ़ इन दो लोगों तक सीमित नहीं था. 1975 में माइकल एडवर्ड्स द्वारा लिखी गई राजनीतिक जीवनी “नेहरू” पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. उन्होंने “किस्सा कुर्सी का” नामक एक फ़िल्म पर भी प्रतिबंध लगा दिया, सिर्फ़ इसलिए क्योंकि इसमें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे पर सवाल उठाए गए थे.

वंशवाद की मदद के लिए संविधान में संशोधन किए:

निर्मला सीतारमण ने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी परिवार और वंशवाद की मदद के लिए संविधान में संशोधन करती रही. ये संशोधन लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए नहीं थे, बल्कि सत्ता में बैठे लोगों की रक्षा के लिए थे, इस प्रक्रिया का इस्तेमाल परिवार को मजबूत करने के लिए किया गया. उन्होंने कहा कि मैं ऐसे राजनेताओं को जानती हूं जिन्होंने उन काले दिनों (इमरजेंसी) को याद रखने के लिए बच्चों के नाम मीसा के नाम पर रखने का फैसला किया और अब वे उनके साथ गठबंधन करने में भी कोई आपत्ति नहीं करते हैं.

 

 

Kashish Bohra
Author: Kashish Bohra

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