राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने कहा- सभी लोगों को शिक्षा लेनी चाहिए। पहले हमारे पास शिक्षा वाले लोग थे, लेकिन बीच में हमारी संस्कृति बिगाड़ने के लिए मोहम्मद मीर कासिम आया और हमारी संस्कृति को मिटाने की कोशिश की।
इसके बाद दिल्ली के राजा रहे बहादुर शाह ने हमारी संस्कृति को नष्ट करने की कोशिश की। आक्रमणकारियों ने हमारी संस्कृति पर आक्रमण किया और धर्मांतरण कराया। आक्रमणकारियों ने कहा- धर्मांतरण करो नहीं तो मरो। उन्होंने डरा-धमकाकर बहुत सारे लोगों का धर्मांतरण भी कराया।

‘1200 साल में भी श्रद्धा, भक्ति भाव नहीं मिटा पाए’ राज्यपाल बोले- आक्रमणकारियों ने यह सब 1200 साल किया। लेकिन आक्रमणकारी 1200 साल में भी लोगों की श्रद्धा, भक्ति भाव को मिटा नहीं पाए। इसके बाद लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया। राज्यपाल ने कहा- उस समय में भी सुमेधानंद सरस्वती जैसे लोग होंगे। उस समय एक तरफ तो धर्मांतरण चल रहा होगा और एक तरफ सुमेधानंद सरस्वती जैसे लोग, आम लोगों को धर्मांतरण करने से रोक रहे थे।

‘नई शिक्षा नीति मतलब पुरानी नहीं भूलेंगे’ राज्यपाल ने संबोधित करते हुए कहा- अभी हम जो शिक्षा लेते हैं वह अंग्रेजों ने बनाई है। जिसने यह शिक्षा बनाई उसका नाम था थॉमस मेकालो। उन्होंने कहा था कि भारत की संस्कृति को मिटाना है और जड़ों से उखाड़ना है। जो शिक्षा पद्धति अंग्रेजों ने बनाई थी उसमें देवों का नाम नहीं था। उसमें हमारे कुरान और वेदों का भी नाम नहीं था।
राज्यपाल ने कहा- अभी केंद्र सरकार ने जो नई शिक्षा नीति लागू है उसका मतलब है हम नई संस्कृति का ज्ञान तो लेते रहेंगे, लेकिन पुराने नहीं भूलेंगे। यही हमारी संस्कृति है। इसलिए नई शिक्षा नीति में उसका उपयोग किया गया है।
महर्षि दयानंद सरस्वती के जन्म शताब्दी समारोह में हुए शामिल राज्यपाल बागड़े- मंगलवार को सीकर के पिपराली में महर्षि दयानंद सरस्वती के द्वि (दूसरे) जन्म शताब्दी समारोह में आए थे। साथ ही शिक्षा मंत्री मदन दिलावर, राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी, भूजल मंत्री कन्हैया लाल चौधरी, विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, धोद विधायक गोरधन वर्मा भी पहुंचे। यहां श्री श्याम गौशाला की स्थापना के 21 वर्ष पूरे होने पर 5 दिवसीय चतुर्वेद शतकम गौपुष्टि महायज्ञ और श्री राम कथा का आयोजन हो रहा है।
