Home » जयपुर » जिस घर से बेटे की बारात निकलनी थी, वहां मातम:मां सबसे कह रही- मेरे लाल को नहीं लाए, शादी का सूट दिखाकर रो पड़ा भाई

जिस घर से बेटे की बारात निकलनी थी, वहां मातम:मां सबसे कह रही- मेरे लाल को नहीं लाए, शादी का सूट दिखाकर रो पड़ा भाई

2 फरवरी को बहरोड़ के अनूप यादव (28) की शादी होने वाली थी। एक साल पहले ही सरकारी टीचर की नौकरी लगी थी। घर में शादी की तैयारियां चल रही थी और सब बेहद खुश थे।

खुद अनूप ने इसके लिए अपना पुराना मकान तुड़वाकर उसे मॉडर्न डिजाइन में बनवाया था। कुछ दिन पहले ही घोड़ी, बैंड-बाजा, टेंट की बुकिंग की थी। सब कुछ अच्छा चल रहा था, लेकिन 6 जनवरी का दिन अनूप के लिए काल बनकर आया।

सर्दियों की छुटि्टयों के बाद नौकरी पर लौटने के दौरान एक ट्रक ने अनूप को कुचल दिया। इसके साथ उसके पूरे परिवार के सपने उजड़ गए।

मां फूलमाया देवी (55) के आंसू नहीं थम रहे। 62 साल के हो चुके पिता को यकीन ही नहीं हो रहा कि उनका बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा।

घटना के दो दिन बाद दैनिक भास्कर की टीम अनूप यादव के घर पहुंची। घर में अंदर जाते ही हमारे रिपोर्टर को देख अनूप यादव की मां फूट पड़ीं।

बोलींअरे बेटा, मेरे लाड़ले (अनूप कुमार) को नहीं लाया तू…. उसे पाला पोसा, छोटे से इतना बड़ा किया.. और वो दो ही मिनट में चला गया…. अब मैं क्या करूंगी?…उसकी शादी होने वाली थी…. 12 हजार रुपए के कोट-पैंट सिलवाए थे…. दुल्हन के लिए 15 हजार रुपए का शादी का जोड़ा लाने की कह रहा था।

ड्यूटी पर जाने से पहले टीचर शादी की कार्ड खुद ही फाइनल करके गया था।
ड्यूटी पर जाने से पहले टीचर शादी की कार्ड खुद ही फाइनल करके गया था।

छुट्टियों में शादी की तैयारियां करके गया था घर में अनूप के बड़े भाई अनिल यादव (40) मिले। अनूप के बारे में बताते हुए उनका गला भर आया। उन्होंने कहा- मेरा छोटा भाई ही सब कुछ था।

मेरी पत्नी की डिलीवरी के समय 15 साल पहले मौत हो चुकी है। अब एक बेटी और बूढ़े माता-पिता बचे हैं। अनूप सर्दियों की छुट्टी होने पर घर आया था।

4-5 दिन पहले उसने ही घोड़ी, बैंड-बाजा, टेंट की बुकिंग की थी। दुल्हन के लिए सोने की चूड़ियां, चेन, हार और चांदी की पायजेब बनवाई थी।

अपने लिए जैकेट और शेरवानी खरीद कर लाया था। कोट-पैंट तो अभी टेलर के पास ही सिलाई के लिए रखे हुए हैं। नया मकान भी लगभग तैयार हो चुका है।

ऊपर की मंजिल को खुद के हिसाब से तैयार करवा रहा था। छुट्टियां खत्म होने पर ड्यूटी जॉइन करनी थी। सर्दी के कारण एक दिन पहले दोपहर तिजारा (खैरथल-तिजारा) के लिए निकला था।

सर्दियों की छुट्‌टी में ही अनूप जैकेट और शेरवानी ले आया था। भाई और परिवार के दूसरे मेंबर अनूप की छोटी-छोटी बात याद कर रो पड़ते हैं।
सर्दियों की छुट्‌टी में ही अनूप जैकेट और शेरवानी ले आया था। भाई और परिवार के दूसरे मेंबर अनूप की छोटी-छोटी बात याद कर रो पड़ते हैं।

भाई बोला- शादी में 15 दिन की छुट्टी लेने वाला था

अनिल यादव ने बताया- मैंने उससे कहा था कि दो दिन और रुक जा। तैयारी करके फिर चले जाना। घर से निकलने के पहले उसने शादी का कार्ड फाइनल किया था।

उसने कहा था कि छुट्टियों के बाद एक बार स्कूल जॉइन कर लेता हूं। चार-पांच दिन बाद वापस आऊंगा, जब तक कार्ड भी छप जाएंगे। इसके बाद कार्ड साथ ले जाऊंगा और स्कूल स्टाफ में दे दूंगा। फिर शादी के लिए 15 दिन की छुट्टी ले लूंगा।

अनूप के पिता रोशन लाल (62) आर्मी में हवलदार थे। जवान बेटे की मौत ने उन्हें पूरी तरह तोड़ दिया है।
अनूप के पिता रोशन लाल (62) आर्मी में हवलदार थे। जवान बेटे की मौत ने उन्हें पूरी तरह तोड़ दिया है।

पिता बोले- खुद ने गाड़ियां और हलवाई बुक किए थे

बेटे की मौत से दुखी पिता रोशन लाल (62) पहले से कुछ बोल नहीं पाए। इसके बाद मकान की पहली मंजिल पर बने कमरे को दिखाया। उन्होंने बताया कि रिंकू (अनूप) अपने लिए यहीं कमरा तैयार करवा रहा था।

बेड-अलमारी सभी का डिजाइन-सामान उसने खुद ही पसंद किया था। बारात के लिए गाड़ियां और हलवाई खुद ही बुक करके गया था। लेकिन हादसे ने उन्हें जीवनभर का दुख दे दिया।

पुराने मकान को तुड़वाकर नया बनवाया था। ग्राउंड फ्लोर पर काम लगभग पूरा हो चुका था।
पुराने मकान को तुड़वाकर नया बनवाया था। ग्राउंड फ्लोर पर काम लगभग पूरा हो चुका था।

हरियाणा और राजस्थान दो जगह हुआ था सिलेक्शन

भाई ने बताया- 2023 में हरियाणा और राजस्थान दोनों जगह टीचर की नौकरी में नंबर आया था। ऐसे में उसने कहा था कि हरियाणा में नौकरी का कोई भरोसा नहीं है।

मैं राजस्थान में ही जॉइन करूंगा। अक्टूबर 2023 में ग्रेड थर्ड टीचर के पद पर नौकरी जॉइन की थी। उनकी पहली पोस्टिंग राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल चूहडपुर (तिजारा) में हुई। वह यहां इंग्लिश के टीचर थे।

मकान की दूसरी मंजिल पर बन रहे इसी कमरे को अनूप अपनी पसंद से तैयार करवा रहा था।
मकान की दूसरी मंजिल पर बन रहे इसी कमरे को अनूप अपनी पसंद से तैयार करवा रहा था।

ड्यूटी पर जाने के लिए एक दिन पहले ही निकलता था

भाई ने बताया- स्कूल की सर्दियों की छुट्टी होने पर अपने घर जखराना (बहरोड़) आए थे। छुट्टी खत्म होने पर सोमवार दोपहर 2 बजे घर से तिजारा जाने के लिए निकले थे, ताकि मंगलवार को स्कूल में ड्यूटी जॉइन कर सकें।

सुबह सर्दी में स्कूल जाने में दिक्कत होती थी, तो एक दिन पहले ही निकल जाता था। वहां कमरा लेकर रहता था। जब भी घर आता था तो एक दिन पहले शाम के समय निकलता था, ताकि दूसरे दिन समय से स्कूल पहुंच सके।

Kashish Bohra
Author: Kashish Bohra

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