राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज (RUHS) में वाइस चांसलर (VC) के पद पर हुई डॉ. प्रमोद येवले की नियुक्ति का विरोध शुरू हो गया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की राजस्थान ब्रांच ने आज फिर से राज्यपाल को पत्र लिखकर इस निर्णय पर आपत्ति जताते हुए इस पर पुनर्विचार करने की मांग की है। पुनर्विचार नहीं करने पर IMA ने भविष्य में आंदोलन की चेतावनी दी है।
आईएमए राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. एमपी शर्मा और सचिव डॉ. पीसी गर्ग की ओर से लिखे गए इस पत्र में बताया- VC के पद पर गैर चिकित्सक की नियुक्ति काे लेकर पूरे चिकित्सा समुदाय में रोष है। इस नियुक्ति को न केवल मेडिकल शिक्षा के मूल सिद्धांतों के खिलाफ बताया, बल्कि चिकित्सा जगत के पेशेवरों के अधिकारों का हनन भी बताया।
उन्होंने बताया- राज्यों में मेडिकल यूनिवर्सिटी की स्थापना इसलिए की गई थी, ताकि उनके अंतर्गत मेडिकल कॉलेजों को जोड़ा जा सके। जब से राज्यों में मेडिकल यूनिवर्सिटी बनी है, तब से वहां डॉक्टर जिसके पास MBBS, MD, Mch या DM की मेडिकल संबंधित उच्च शिक्षा की डिग्री है, उन्हें ही वीसी बनाया गया है।
वर्तमान में जब मेडिकल कॉलेजों में गैर चिकित्सक को फैकल्टी के तौर पर नियुक्त नहीं किया जाता, तो मेडिकल यूनिवर्सिटी में गैर चिकित्सक को कैसे VC नियुक्त किया जा सकता है।
आईएमए ने इसे सरकार की हठधर्मिता बताते हुए इसे चिकित्सा क्षेत्र के हितों पर कुठाराघात बताया है। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि सरकार इस पर पुनर्विचार नहीं करेगी तो मजबूरन सभी मेडिकल कॉलेजों के शिक्षकों और चिकित्सा समुदाय को विरोध-प्रदर्शन करके आंदोलन की राह अपनानी पड़ेगी।
पहले भी लिखा था पत्र
IMA ने जब VC के इंटरव्यू हुए थे, तब भी ऐसा ही एक पत्र राज्यपाल को लिखकर डॉ. येवले का विरोध जताया था। उस समय चर्चा थी कि एक गुट IMA के जरिए इस इंटरव्यू को निरस्त करवाना चाहता है। इस विरोध के चलते इंटरव्यू का परिणाम भी एक माह की देरी से जारी किया गया।
