कोटा मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस के छात्र ने हॉस्टल के कमरे में फंदा लगा लिया। पुलिस को स्टूडेंट के रूम सुसाइड नोट मिला है। जिसमें लिखा है कि वह माता पिता का सपना पूरा नहीं कर पा रहा है। इसलिए उनसे माफी मांग रहा है। घटना बुधवार रात 10 बजे की है। मृतक सुनील बैरवा (28) बस्सी (जयपुर) का रहने वाला था।
वहीं, मेडिकल स्टूडेंट की आत्महत्या के बाद यूजी और पीजी के छात्र प्रिंसिपल ऑफिस के बाहर धरने पर बैठ गए हैं। वे कॉलेज प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी कर रहे हैं।
महावीर नगर थाना ASI मोहनलाल ने बताया- सुनील का शव मेडिकल कॉलेज कोटा के हॉस्टल UG 3 के रूम नंबर 105 में पंखे से लटका मिला। सूचना मिलने पर परिजन कोटा पहुंचे। परिजनों की मौजूदगी में पोस्टमॉर्टम कराया गया। परिजनों ने बताया कि उसे परीक्षा में शामिल नहीं होने दिया जा रहा था। ASI ने कहा कि शिकायत मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
पहले देखिए, छात्रों के विरोध प्रदर्शन से जुड़ी 2 तस्वीरें…


प्रशासन ने उसे फेल कर दिया सुनील के पिता कजोड़मल ने बताया कि सुनील ने नीट परीक्षा उत्तीर्ण करके साल 2019-20 में कोटा मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया था। पहली परीक्षा में कॉलेज प्रशासन ने उसे फेल कर दिया। हमने RUSH (राजस्थान सेहत विज्ञान विश्वविद्यालय) में केस दायर कर कॉपी की जांच करवाई। 7-8 महीने बाद जब दोबारा रिजल्ट जारी हुआ, तो वह परीक्षा में उत्तीर्ण हो गया
पिता बोले- डेढ़ साल से वह कॉलेज से बाहर था कजोड़मल ने आगे बताया कि सुनील ने द्वितीय वर्ष की परीक्षा पास कर ली। तृतीय वर्ष में उसे नकल करते हुए पकड़ा गया, जिसके बाद उसकी 2 परीक्षाएं रद्द कर दी गईं। पिछले डेढ़ साल से वह कॉलेज से बाहर था। हाल ही में जब उसने कॉलेज जाकर बात की, तो कॉलेज प्रशासन ने उसे प्रताड़ित किया, जिसके बाद उसने यह कदम उठाया।
कॉलेज से सुनील को डांट कर भगा दिया जाता था सुनील के सीनियर साथी डॉक्टर कमल ने बताया- सुनील उनके छोटे भाई जैसा था। साथ में खाना खाते थे। उन्होंने आरोप लगाया कि मेडिकल कॉलेज कोटा में सभी बच्चों के साथ समान व्यवहार नहीं होता। सुनील पर चीटिंग के चलते डेढ़-दो साल की बैन लगाई गई थी। हाल ही में जब वह कोटा आकर कॉलेज प्रशासन से बात करने गया तो उसे अपमानित कर भगा दिया गया।
डॉक्टर कमल ने बताया- सुनील जब भी कॉलेज प्रशासन से परीक्षा में बैठने की विनती करता, तो उसे डांट कर भगा दिया जाता था। हम लोगों ने भी सुनील के लिए कॉलेज प्रशासन से अनुरोध किया था। वह एक होनहार छात्र था। पिछले तीन महीने से सुनील की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी।
सुसाइड में महाराष्ट्र पहले नंबर पर
एग्जाम प्रेशर और दूसरे कारणों से राजस्थान के कोटा से स्टूडेंट्स की आत्महत्या की खबरें अक्सर आती हैं। मगर रिपोर्ट के अनुसार स्टूडेंट्स सुसाइड के मामले राजस्थान 10वें पायदान पर है, जबकि पहले नंबर पर महाराष्ट्र है।
भारत में स्टूडेंट सुसाइड की रोकथाम के लिए सरकार ने ये नियम बनाए
1. मेंटल हेल्थकेयर एक्ट, 2017 इस एक्ट के अनुसार मानसिक विकारों से पीड़ित व्यक्ति को इसके लिए ट्रीटमेंट लेने और गरिमा के साथ जीवन जीने का पूरा हक है।
2. एंटी रैगिंग मेजर्स सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, रैगिंग की शिकायत आने पर सभी एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स को पुलिस के पास FIR दर्ज करानी होगी। साल 2009 में हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स में रैगिंग की घटनाओं की रोकथाम के लिए यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन यानी UGC ने रेगुलेशन जारी की थी।
3. स्टूडेंट काउंसलिंग सिस्टम स्टूडेंट्स की एंग्जायटी, स्ट्रेस, होमसिकनेस, फेल होने के डर जैसी समस्याओं को सुलझाने के लिए UGC ने 2016 में यूनिवर्सिटीज को स्टूडेंट्स काउंसलिंग सिस्टम सेट-अप करने को कहा था।
4. गेटकीपर्स ट्रेनिंग फॉर सुसाइड प्रिवेंशन बॉय NIMHANS, SPIF NIMHANS यानी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस और SPIF यानी सुसाइड प्रिवेंशन इंडिया फाउंडेशन इस ट्रेनिंग को कराते हैं। इसके जरिए गेटकीपर्स का एक नेटवर्क तैयार किया जाता है जो सुसाइडल लोगों की पहचान कर सके।
5. NEP 2020 टीचर्स स्टूडेंट्स की सोशियो-इमोशनल लर्निंग और स्कूल सिस्टम में कम्यूनिटी इनवॉल्वमेंट पर ध्यान दें। साथ ही स्कूलों में सोशल वर्कर्स और काउंसलर्स भी होने चाहिए।
70% टीचर्स मेंटल हेल्थ को बीमारी नहीं कमजोरी मानते हैं
- दुनिया में 83% यंगस्टर्स मानते हैं कि मेंटल हेल्थ समस्याओं के लिए किसी दूसरे की मदद लेनी चाहिए। वहीं भारत में सिर्फ 41% यंगस्टर्स ऐसा मानते हैं।
- साउथ इंडिया के 566 स्कूलों पर की गई एक स्टडी में सामने आया कि 70% टीचर्स डिप्रेशन को बीमारी के बजाए साइन ऑफ वीकनेस मानते हैं। साथ ही टीचर्स इसे खतरनाक नहीं बल्कि अनप्रेडिक्टेबल मानते हैं।
