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आखिर क्या कारण है कि जेडीए विभाग कार्रवाई करने की जहमत तक नहीं उठा पा रहा है ?

जयपुर मामला जयपुर विकास प्राधिकरण के जोन 10 में जामडोली क्षेत्र में जगदीश तांबी फार्म हाउस में सृजित हो रही “सत्यम एन्क्लेव” व जामडोली चौराहे के पास पारस सेनेटरी के सामने “राम विहार”के नाम से अवैध कॉलोनी पर जेडीए प्रशासन ने अवैध मानते हुए दिनांक 31-01-2025 को ध्वस्तिकरण की कार्रवाई सुनिश्चित की गई थी इसके उपरांत भी कुछ दिवस बाद ही उक्त कॉलोनियों में निर्माण कार्य पुनः संचालित होकर जेडीए की कार्यशैली को चुनौती देने का काम किया
आपको बता दे कि वर्तमान में उक्त कॉलोनियों में निर्माण जोरों शोरों से संचालित है कृषि भुमि व इकोलॉजिकल क्षेत्र से प्रभावित होने के बावजूद भी कॉलोनाइजर्स बेखौफ होकर दुकानें व आवासीय निर्माण करने में लगे हुए हैं।

यह मामला दिन प्रतिदिन रोचक मोड़ लेता नज़र आ रहा है क्योंकि प्रवर्तन अधिकारी के स्थानांतरण होने का जमकर फायदा उठाया जा रहा है जब विभाग द्वारा पूर्व में जविप्रा अधिनियम 1982 की धारा 32,33 जारी किया गया था। इसके उपरांत उक्त कॉलोनियों में ध्वस्तिकरण की कार्रवाई को अंजाम दिया गया था अब सवाल यह उठ रहे हैं कि आखिर किस अधिकारी की मिलीभगत से यह अवैध निर्माण चल रहे है ? विभाग की मेहरबानी इस कदर बनी हुई है कि दोबारा प्रवर्तन शाखा उक्त कॉलोनी पर जाने की हिमाकत भी नहीं कर पा रहा है। ख़बरें प्रकाशित होने के बावजूद निर्माण रुकने का नाम ही नहीं ले रहे है। और दिन-रात प्रतिदिन काम और तेजी से चल रहा है लेकिन अब विभाग के अधिकारी महोदय कार्रवाही करने के बजाय अवैध निर्माणों की सुरक्षा करते नज़र आ रहे है|
आपको बता दे कि विभाग की कार्यशैली देखकर लगता है कि विभाग के अधिकारी खुद इसे नज़र अंदाज़ कर इन निर्माणों को पूर्ण करवाने में लगे है | साथ ही अधिकारियों की सरपरस्ती में अवैध निर्माण लगातार बढ़ता जा रहा है और जेडीए प्रशासन मूकदर्शक बन देख रहा है
इकोलॉजिकल क्षेत्र में अवैध कॉलोनियों की बसावट से आमजन के साथ भी धोखा हो रहा है ग्राहको को लुभावने प्रलोभन व सस्ती दरों का लालच देकर भुखण्डो का बेचान किया जा रहा है साथ ही भविष्य में आने वाली समस्याओं का सामना भी ग्राहकों को ही करना पड़ सकता है।

बनते सवाल,जिनके नहीं मिलते जबाव
ध्वस्त कॉलोनियों में फिर से निर्माण शुरू हो जाने पर किस अधिकारी की जिम्मेदारी तय मानी जायेगी?
जब प्रवर्तन अधिकारी रोजाना फील्ड में जाते हैं तो यह काॅलोनियां क्यों नहीं दिखती या फिर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है?
या फिर अवैध कॉलोनियों की धरातलीय स्थिति से उच्चाधिकारियों को रखा जाता है दुर?
अब देखने की बात यह है कि उक्त कॉलोनियों की खबरें प्रकाशित होने के बाद जेडीए प्रशासन उक्त कॉलोनियों पर कार्रवाई करेगा या फिर मेहरबानी

Kashish Bohra
Author: Kashish Bohra

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