Poola Jada
Home » राजस्थान » सुशासन एवं आपराधिक जनप्रतिनिधि विषयक मुक्त मंच की 95 वीं संगोष्ठी

सुशासन एवं आपराधिक जनप्रतिनिधि विषयक मुक्त मंच की 95 वीं संगोष्ठी

सुशासन एवं आपराधिक जनप्रतिनिधि विषयक मुक्त मंच की 95 वीं संगोष्ठी

लोकतन्त्र के निकष पर हम असफल रहे:डॉ.नरेंद्र कुसुम

दैनिक सक्सेस मीडिया जयपुर(सुनील शर्मा)
मुक्त मंच की 95वीं संगोष्ठी यहाँ योग साधना केन्द्र में शिक्षाविद् डॉ.नरेन्द्र शर्मा ‘कुसुम’ की अध्यक्षता और अरुण ओझा आईएएस (रिटा.) के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुई।शब्द संसार के श्रीकृष्ण शर्म ने संयोजन किया।सुशासन एवं आपराधिक जनप्रतिनिधि विषयक संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए डॉ.नरेन्द्र शर्मा ‘कुसुम’ ने कहा कि एक लम्बी गुलामी के बाद हमने आजादी देखी। रक्त-रंजित हालातों के बीच सुहाने सपने संजोये पर ‘स्वराज’ के खतरे भी कम ना थे।लोकतन्त्र के निकष पर हम असफल रहे। संविधान के बावजूद हम राजनीति की विकृतियों के ओक्टोपस में फंस गए।
डॉ.कुसुम ने कहा कि हमने अपने प्रतिनिधियों को संसद,विधान सभा और परिषदों में भेजा लेकिन वे संविधान की मनसा-वाचा-कर्मणा के अनुपालन में खरे नहीं उतरे।राजनीति का अपराधीकरण होता गया और अपराधों का राजनीतिकरण होता गया।देश की जनता असहाय और लाचार होकर रह गई। सुरक्षा सहित रोजगार,समानता,न्याय सुनिश्चित नहीं हो पाया है।हमारे अधिकांश जनप्रतिनिधि अप्रढोनों में लिप्त हैं और जनता के साथ विश्वासघात एवं लोकतन्त्र का चीर-हरण किया है। न्याय के लिए द्वार खुले हैं पर न्याय पाना मुश्किल है।

आईटी विशेषज्ञ और पूर्व मुख्य अभियंता दामोदर चिरानियाँ ने कहा कि सुशासन का अर्थ पारदर्शिता,जबावदेही और कानून का शासन है।पूर्व प्रधानमन्त्री अटलविहारी बाजपेयी की जयन्ती के उपलक्ष में 2014 से हर साल सुशासन को समर्पित है।सुशासन के लिए प्रशासन को चाक-चौबंद,त्वरित कार्य,मानवीय दृष्टिकोण तथा संवेदनशील होना चाहिए। शिक्षण संस्थाएं व स्वास्थ्य सेवाएँ बेहतरीन हों।किसान,मजदूर और दुकानदार सहजता महसूस करें। महिलाएँ, बच्चे और निर्बल वर्ग सुरक्षित महसूस करें।अपराधियों में खौफ हो, न्यायालय में मुकदमों का निपटारा शीघ्र हो।सुशासन तभी संभव है जब राष्ट्र, सरकार,समाज,संस्था और संविधान के प्रति हम सभी ईमानदार हो।आज बहुत से न्यायिक आदेशों पर अंगुलियाँ उठ रही है।चुनाव निश्चित अन्तराल पर गुप्त प्रक्रिया से ही हो,चुनावी घोषणाओं के क्रियान्वयन की वाध्यता अनिवार्य की जानी चाहिए।जब 40-45 प्रतिशत जन-प्रतिनिधि स्वय्ं ही आपराधिक कार्यों में लिप्त हो तो संवैधानिक संस्थाओं का कमजोर होना स्वाभाविक है।
आईएएस अरुण ओझा,वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र बोङा गुलाब बत्रा,साहित्यकार फारुक आफरीदी,यशवन्त कोठारी,कल्याणसिंह शेखावत,इन्द्र भंसाली,ललित कुमार शर्मा,डॉ.सुभाष गुप्ता,सुमनेश शर्मा,राजेश अग्रवाल ने अपनी वैचारिक दृष्टि से संगोष्ठी को समृद्ध किया।अन्त में परमहंस योगिनी डॉ. पुष्पलता गर्ग ने शान्ति पाठ के साथ संगोष्ठी का समाहार किया।

Kashish Bohra
Author: Kashish Bohra

0
0

RELATED LATEST NEWS

Poola Jada

Top Headlines

बाइक सवार तीन बदमाशों ने तोड़ी महिला की चैन:मंदिर से घर लौट रही थी बुजुर्ग, 15 दिन बाद भी लुटेरे फरार

जयपुर के मुरलीपुरा थाना इलाके में 15 दिन पहले बुजुर्ग महिला से लूट की वारदात हुई थी। घटना स्थल के