राजस्थान में जेल विभाग ने नई व्यवस्था पर काम करना शुरू किया है। इस नई व्यवस्था को बाद अलग मोबाइल जेल में पहुंच गया तो भी कैदी उसका इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। इसके लिए हाईटैक मशीनों का उपयोग किया जाएगा। जो जैमर्स से भी पावरफुल होंगे। सबसे पहले बीकानेर, जयपुर, अजमेर, जोधपुर समेत हाई सिक्योरिटी जेलों में इस तकनीकी का उपयोग होगा।
जेलों में उपयोग में होने वाली सिम की कॉल बाहर नहीं जाए, इसके लिए सभी जेलों में में टावर फॉर हार्मोनियस कॉल ब्लोकिंग सिस्टम (टीएचसीबीएस) नाम से नई टेक्नॉलॉजी को ला रहे हैं। इसके लिए जेल परिसर में एक टावर लगाया जाएगा। इस टावर पर सभी मोबाइल नेटवर्क प्रदान करने वाली कम्पनियां अपने-अपने इंस्ट्रूमेंट लगाएंगी, जिससे मोबाइल कॉल बाहर नहीं जा सकेगा। इस सिस्टम के लगने के बाद जेल से कॉल होना लगभग असंभव हो जाएगा। आगामी तीन-चार महीनों में चार जेलों में और उसके बाद प्रदेश की सभी जेलों में ये टावर लगा दिए जाएंगे। ये लगने के बाद नॉर्मल और इंटरनेट कॉल भी नहीं लगेगा।
रिवर्स कॉल कर सिम के नेटवर्क को खत्म कर देगी
इस तकनीक की खासियत होगी कि यह किसी भी कम्पनी के मोबाइल को जेल परिसर में नहीं चलने देगी। किसी भी टेलिकॉम कम्पनी की सिम चालू की जाएगी तो यह तकनीकी रिवर्स कॉल कर उसके नेटवर्क को खत्म कर देगी। जेलों में हर टेलिकॉम कम्पनी का सैटअप लगाया जाएगा। यह प्रदेश में जेलों से धमकी देने के मामलों में बड़ रहे तंत्र को पूरी तरह खत्म कर देगा। साथ ही जेलों से जाने वाली धमके के कॉल पर पूरी तरह से अंकुश लगेगा।
सेन्ट्रल जेल और हाई सिक्योरिटी जेल पर लागू किया जाएगा
डीजी जेल गोविंद गुप्ता ने बताया- प्रदेश की जेलों से कॉल करने पर रोक लगाने के लिए नई तकनीक टी एचसीवीएस का उपयोग करने की तैयारी कर ली है। हाल में इसे सेन्ट्रल जेल और हाई सिक्योरिटी जेल पर लागू किया जाएगा। इससे जेल से बाहर कॉल करना असंभव हो जाएगा।
