Home » राजस्थान » शाहपुरा बनेड़ा विधानसभा में ऊट किस ओर लेगा करवट….विकास की होगी जीत या भाजपा के सर होगा जीत का ताज।

शाहपुरा बनेड़ा विधानसभा में ऊट किस ओर लेगा करवट….विकास की होगी जीत या भाजपा के सर होगा जीत का ताज।

शाहपुरा (किशन वैष्णव) राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है.25 नवंबर को मतदान है और दो मुख्य राजनीतिक दल बीजेपी और कांग्रेस अपनी-अपनी जीत के दावे कर रही हैं.वही अशोक गहलोत अपनी योजनाओं के दम पर राजस्थान में कांग्रेस की सत्ता वापसी की बात कर रहे हैं तो वहीं बीजेपी नेताओं का दावा है कि इस बार उनकी पार्टी भारी बहुमत से चुनाव जीतेगी.लेकिन शाहपुरा बनेड़ा के स्थानिक युवा,बुजुर्ग और आमजन की क्या मंशा है तथा क्या भाजपा के लालाराम जो बाहरी और नया चहरा है उन्हे जनता का समर्थन मिलेगा या फिर भाजपा के निष्कासित पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्थानीय विधायक कैलाश मेघवाल जिन्होंने शाहपुरा बनेड़ा क्षेत्र को विपक्षी सरकार में भी विकास दिया व आमजनता से सीधे जुड़े हुए थे पर पार्टी से टिकिट नही मिलने से यहां हो सकता है कैलाश मेघवाल को थोड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है स्थानीय राजनैतिक संबंध रखने वाले लोगो की राय पर बात करे तो वैसे तो त्रिकोणीय मुकाबला कह सकते हो पर क्षेत्र में मुकाबला निर्दलीय उम्मीदवार मेघवाल और भाजपा के लाला राम के बीच ही बजबूती कड़ी नजर आती है कांग्रेस के नरेंद्र रैगर भी चुनावी मैदान में है लेकिन सोसल मीडिया व स्थानीय राजनैतिक विशेषज्ञों की माने तो निर्दलीय मेघवाल और भाजपा के लाला राम की सीधी टक्कर की बात सामने आई है,इसका कारण राजनैतिक विशेषज्ञ बता रहे हैं की निर्दलीय उम्मीदवार कैलाश मेघवाल राजनीति में पुराने एवं गद्दावर हैं साथ ही शाहपुरा बनेड़ा क्षेत्र में पूर्व में विधायक और यहां रहकर विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं साथ ही क्षेत्र से लंबे समय से जुड़े हैं तथा विपक्षी सरकार होते हुए भी शाहपुरा को जिला बनाया गर्ल्स कॉलेज खुलवाया जाती समाज में जगह जगह विकास के आयाम स्थापित किए तथा कांग्रेस और भाजपा के पशाधिकारियो और कार्यकर्ताओ में भदेभाव नही किया लेकिन मेघवाल के सामने भाजपा के लाला राम बैरवा है जो संघ पृष्ठभूमि से जुड़े हैं व नया और जवान चहरा है तथा मेघवाल उम्रदराज भी हो गए हैं वही जानकारी है की मेघवाल को टिकिट नही मिलने का एक कारण उनकी 90 वर्ष की उम्र भी हो सकती हैं वही 25 नवंबर को मतदान है 14 दिन शेष बचे हैं इस बीच प्रचार प्रसार और गांवो में आमजन के बीच जाकर प्रत्याक्षी उनके पक्ष में मतदान करने की अपील कर रहे हैं और 3 दिसंबर को मतगणना है दोनो राजनैतिक दल और निर्दलीय उम्मीदवार भी क्षेत्र में दम जोखने लगे हैं निर्दलियों को चुनाव चिन्ह मिल गए हैं लेकिन जनता क्या चाहती हैं क्या मुड़ है जनता का ऊट किस ओर करवट लेगा,नरेंद्र मोदी के नाम पर भाजपा को वोट मिलेंगे या स्थानीय विधायक एवं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष जिन्हे लोग विकास पुरुष कहते हैं।जनता की माने तो शाहपुरा हॉट शीट रही है और सबसे अंतिम में टिकिट की कांग्रेस ने घोषणा करी है और युवा नौजवान व्यक्ति को मैदान में उतारा है देखने लायक बात ये होगी की क्या शाहपुरा के कद्दावर नेता रहे मेघवाल के निर्दलीय उतरने पर सामने भाजपा और कांग्रेस की क्या स्थिति रहती हैं क्या अनुभवी और क्षेत्र से जुड़े मेघवाल अपनी विकास की नाव के सहारे जीत दर्ज करेंगे या भाजपा के लाला राम जो बाहरी और नया चहरा है जो युवा भी है और अपने दम पर स्थानीय उम्मीदवारों की टिकिट की मांग के बीच अपना टिकिट निकाल कर लाए हैं।

नवजात जिला शाहपुरा को विकास की मांग।

स्थानीय मतदाताओं की मांग है की शाहपुरा अभी हाल ही में जिला बना है और इसे नया पहनावा पहनाना जरूरी है विकास के पंख लगने बाकी है साथ ही साथ शाहपुरा के विकास के मुद्दो को पूरा करने की बात कही जा रही है शाहपुरा में लंबे समय से लगने वाले जाम की समस्या का निराकरण,बाईपास, नवनिर्मित जिला शाहपुरा के भौतिक,भौगोलिक सांस्कृतिक धरोहर की काया पलट करना,गंदगी से निजात सहित शिक्षा और आमजन के मूलभूत सुविधाओं को आम आदमी तक पहुंचना महत्वपूर्ण मांगे है साथ ही शिक्षा व युवाओं के लिए उद्योग धंधे महत्वपूर्ण मांग है।शाहपुरा एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक शहर है. इसका गौरवशाली इतिहास और समृद्ध संस्कृति इसे एक विशेष पहचान प्रदान करती है.हाल ही में, शाहपुरा को राजस्थान सरकार द्वारा एक नए जिले के रूप में घोषित किया है. यह शाहपुरा और उसके लोगों के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है 1957 में इस सीट पर पहली बार चुनाव हुए थे. तब यहां कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. शाहपुरा ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी यहां की लोक संस्कृति, संगीत, नृत्य,और कला सभी राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करती हैं.शाहपुरा अंतराष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय की पीठ के लिए मशहूर है,जो इसे एक धार्मिक केंद्र भी बनाते हैं.

कोन करेगा शाहपुरा नव निर्वाचित जिला की काया पलट..??

शाहपुरा नवजात जिला है हाल ही में जिला बना है इसमें आधारभूत संरचना तथा विकास के पंख लगाने के लिए एक विकास पुरुष की भूमिका निभाने वाले तथा गांवो से शाहपुरा के सड़के,ताल्लुक सहित विकास की ओर अग्रसर करने वाले नेता की जरूरत है हालाकि अब इस चुनावी अखाड़े में उतरने वाले 3 मुख्य दावेदारों भाजपा से लाला राम बैरवा,कांग्रेस से नरेंद्र रैगर और निर्दलीय कैलाश मेघवाल में से किसके सर जीत का ताज होगा और किसको इस नवजात जिले के विकास की बागडोर संभालने का मोका मिलेगा 3 दिसंबर को पता चलेगा।लेकिन राजनेतिक विशेषज्ञों की माने तो भाजपा के लाला राम पार्टी सिंबल से चुनावी मैदान में है और क्षेत्र की जनता के लिए नया चहरा है केवल जनता पार्टी सिंबल तक ही वाकिप है वही दूसरी ओर अनेक बार कैलाश मेघवाल आरोप प्रत्यारोप में सुर्खियों में रहे हैं जनता के बीच जमे हुए हैं लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अब जनता के बीच है पहले भाजपा के विधायक के रूप में थे तो अब जनता का मुड़ क्या होगा ये रोचक मुकाबला होगा तथा देखना होगा कि कोन करेगा शाहपुरा नव निर्वाचित जिला की काया पलट..या रहेगा ज्यो का त्यों…

मेघवाल के पास विकास के मुद्दे लेकिन निर्दलीय व उम्र दराज।

शाहपुरा बनेड़ा निर्दलीय उम्मीदवार कैलाश चन्द्र मेघवाल एक भारतीय राजनेता हैं।वे पूर्व राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष हैं।वे पूर्व में केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रह चुके हैं। और वे भारतीय जनता पार्टी के पूर्व में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुके है। वर्तमान में शाहपुरा बनेड़ा विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं।पूर्व में वे टोंक-सवाई माधोपुर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद थे। वे राजस्थान सरकार में अनेक बार मंत्री पद पर रह चुके हैं।तथा शाहपुरा से सबसे अधिक 75 हजार वोट जीत दर्ज की,राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे तथा उम्रदराज राजनेता हैं जिन्होंने क्षेत्र के विकास में महत्पूर्ण भूमिका निभाई है कांग्रेस सरकार होते हुए भी शाहपुरा जिला की घोषणा,फुलिया कलां में कृषि महाविद्यालय,शाहपुरा में गर्ल्स कॉलेज सहित क्षेत्र में गांव गांव ढाणी ढाणी छोटे मोटे कार्यक्रमों में जाना तथा विकास के मुद्दे के साथ ही चुनाव में मेघवाल मैदान में फाइट करेंगे लेकिन जमीनी स्तर की जानकारी देखे तो मेघवाल की उम्रदराज होने से कही न कही नुकसान उठाना पड़ सकता है तथा निर्दलीय भी है मेघवाल चुनावी मैदान में,हालाकि 3 दिसंबर को मतगणना के साथ किसका खुलेगा भाग्य वो तय करेगा।

लालाराम नया और बाहरी लेकिन भाजपा चहरा।

वही लालाराम बैरवा भारतीय जनता पार्टी से उम्मीदवार घोषित है मेघवाल के पास विकास मुद्दा है लेकिन लालाराम के पास केंद्र में बैठे नरेंद्र मोदी और युवाओं की उम्मीद तथा भाजपा सिंबल,लालाराम बैरवा भाजपा का युवा चहरा है,संघ पृष्ठभूमि से जुड़ा है और साल भर से क्षेत्र में पहचान बनाई है राजनेतिक व धार्मिक कार्यक्रमों से जुड़े रहने की बात भी सामने आई है लालाराम बैरवा भाजपा के कैंडिडेट होने तथा मेघवाल के उम्रदराज होने का फायदा लालाराम बैरवा को मिल सकता है इनके अलावा कोई मुद्दा नहीं है,क्षेत्रवासियो की लोकल टिकिट की मांग के बाद भी भाजपा ने बाहरी कैंडिडेट को टिकिट दिया है लेकिन फिर भी स्थानीय भाजपा के कार्यकर्ता व पधाधिकारी सिंबल के साथ लाला राम के स्पोर्ट में लगे हैं क्या यहां कैलाश मेघवाल को हो सकता है नुकसान यह तो 3 तारिक को ही पता चलेगा की कितना मिलेगा फायदा,फिलहाल राजनेतिक सरगर्मियां तेज हो गई है।

Kashish Bohra
Author: Kashish Bohra

0
0

RELATED LATEST NEWS

  • 7k Network
  • infoverse academy
  • Poola Jada

Top Headlines

BJP ने केजरीवाल को टॉयलेट चोर दिखाया:9 दिन से पोस्टर वॉर; BJP ने 20 तो AAP ने 8 पोस्टर-एडिटेड वीडियो शेयर किए

दिल्ली विधानसभा चुनाव तारीखों का ऐलान होते ही आम आदमी पार्टी (AAP) और भाजपा के बीच पोस्टर वॉर तेज हो