जयपुर के सरकारी हॉस्पिटल जेके लोन में अगले साल के दूसरे माह यानी फरवरी 2025 से सीटीवीएस (कार्डियो थेरेसिक वैस्कुलर सर्जरी) यूनिट शुरू की जाएगी। इस यूनिट के शुरू होने के बाद यहां भर्ती होने वाले दिल की बीमारी से संबंधित बच्चों को सर्जरी के लिए एसएमएस हॉस्पिटल नहीं जाना पड़ेगा। अभी बच्चों के दिल का ऑपरेशन एसएमएस हॉस्पिटल में करवाना पड़ता है।
जेके लोन हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. कैलाश मीणा ने बताया- पिछले डेढ़-दो साल से प्रयास के बाद ये काम शुरू हो पाया है। पिछली सरकार में प्रस्ताव भिजवाया था। मौजूदा भजनलाल सरकार ने इसके लिए 20 करोड़ रुपए स्वीकृत किए। इसके बाद यहां यूनिट बनाने का काम शुरू कर दिया है। करीब 30 बेड का जनरल और आईसीयू वार्ड होगा। इसके अलावा यहां कैथलैब स्थापित हो चुकी है। जल्द ही सर्जरी के अन्य उपकरण लाए जाएं, जिसके बाद ये यूनिट शुरू की जाएगी।
जनवरी के आखिरी तक काम पूरा करने का लक्ष्य
अधीक्षक ने बताया- इस यूनिट को बनाने का काम शुरू कर दिया है और कॉन्ट्रेक्टर को जनवरी के आखिरी तक काम पूरा करने का लक्ष्य दिया है। संभावना है कि फरवरी मिड या आखिरी तक यूनिट शुरू कर दी जाए, ताकि बीमार बच्चों को एसएमएस जाने के लिए परेशान न होना पड़े।
5 फीसदी बच्चों में मिलती है जन्मजात दिल की बीमारी
डॉक्टर के मुताबिक देश में 3 से 5 फीसदी बच्चों में जन्मजात दिल की बीमारी के केस सामने आते हैं। इसमें दिल में छेद सबसे कॉमन है। इसके अलावा कई बच्चों में जन्म से दिल की कम धड़कन होने के केस भी ज्यादातर सामने आ रहे है। ऐसी स्थिति में बच्चे की सर्जरी करना आवश्यक होता है।
कैथलैब बनने से एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी भी हो सकेगी
वहीं अत्याधुनिक कैथलैब के बनने से यहां बच्चों की एंजियोग्राफी और जरूरत पड़ने पर एंजियोप्लास्टी भी की जा सकेगी। डॉक्टर ने बताया- अभी बच्चों की 2-डी ईको की जांच यहां हो रही है, लेकिन वह कुछ समय के लिए ही होती है। क्योंकि यहां एक ही डॉक्टर की ड्यूटी है। जब यूनिट शुरू हो जाएगी, तब 2डी ईको की जांच के लिए डॉक्टर्स की उपलब्धता होने पर यहां जांच भी 24 घंटे हो सकेगी।