जैसलमेर में हुई दर्दनाक बस दुर्घटना के बाद अब परिवहन विभाग हरकत में आया है। हादसे में कई लोगों की जान जाने के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सख्त निर्देश दिए हैं कि बसों की सुरक्षा जांच अभियान तुरंत शुरू किया जाए।
लंबे समय से बसों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी के बावजूद विभाग की चुप्पी अब सवालों में है। इसी बीच, जयपुर सहित पूरे प्रदेश में 27 अक्टूबर से ‘सुरक्षित सफर योजना’ शुरू की जा रही है, जिसके तहत बसों की संरचना, सुरक्षा उपकरण और आपातकालीन निकास की सघन जांच होगी। जैसलमेर हादसे के बाद बसों में ‘सुरक्षित सफर योजना’
जैसलमेर में हुई दर्दनाक बस दुर्घटना के बाद अब जयपुर सहित पूरे प्रदेश में बसों की सुरक्षा जांच अभियान शुरू होने जा रहा है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के निर्देश पर प्रादेशिक परिवहन विभाग ने ‘सुरक्षित सफर योजना’ लागू करने की घोषणा की है।
इस अभियान का उद्देश्य बसों में यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। अभियान दो चरणों में चलेगा—पहले चरण में बस ऑपरेटरों को जागरूक किया जाएगा और दूसरे चरण में नियमों का उल्लंघन करने वाली बसों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
परिवहन विभाग के मुताबिक, ‘सुरक्षित सफर योजना’ का संचालन 27 अक्टूबर से 30 नवंबर तक किया जाएगा। पहले चरण में 27 से 31 अक्टूबर तक उड़न दस्ते सड़क पर उतरेंगे और बस ऑपरेटरों के साथ मिलकर समझाइश अभियान चलाएंगे। इस दौरान बसों में आपातकालीन द्वार, अग्निशमन यंत्र, स्लीपर बसों में हैमर की उपलब्धता, वाहन की बॉडी संरचना और लगेज कैरियर जैसी सुरक्षा व्यवस्थाओं की जांच की जाएगी।
दूसरे चरण में होगी सख्त कार्रवाई
1 नवंबर से 30 नवंबर तक दूसरे चरण में उन बसों पर कार्रवाई होगी जो AIS-052, AIS-153 और CMVR जैसे सुरक्षा मानकों का पालन नहीं कर रही होंगी। ऐसे वाहनों के चालान बनाए जाएंगे, जरूरत पड़ने पर बसों को जब्त किया जाएगा और गंभीर मामलों में उनके पंजीयन या परमिट को निलंबित या निरस्त किया जाएगा। परिवहन विभाग ने स्पष्ट किया है कि जिन बसों में संरचना (Body Modification) नियमों के विपरीत की गई है, उन्हें मूल स्वरूप में लाने के लिए बॉडी कटवाने की कार्रवाई भी की जाएगी।
नियमों की सूची जारी
विभाग ने बस ऑपरेटरों को स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं—
- सभी बसों में आपातकालीन गेट होना जरूरी है।
- अग्निशमन यंत्र और स्लीपर बसों में हर स्लीपर के पास हैमर अनिवार्य होगा।
- बसों की छत पर लगेज कैरियर नहीं होना चाहिए।
- जिन बसों में अतिरिक्त सीटें या स्लीपर जोड़ दिए गए हैं, उन्हें हटाकर बस को उसके प्रोटोटाइप स्वरूप में लाया जाए।
- गैंगवे कम करना या आपातकालीन गेट की जगह सीट बनाना नियमों का उल्लंघन माना जाएगा।
बस ऑपरेटरों से सहयोग की अपील
प्रादेशिक परिवहन अधिकारी कार्यालय ने बस ऑपरेटरों से अपील की है कि वे इस अभियान में सहयोग करें और 31 अक्टूबर तक अपनी बसों की सुरक्षा जांच पूरी कर आवश्यक सुधार करा लें। ऑपरेटरों को अक्टूबर के अंतिम 13 दिनों में अपनी सभी बसों की अनुपालना रिपोर्ट कार्यालय को सौंपनी होगी। इसके बाद विशेष जांच टीमें सघन निरीक्षण अभियान चलाएंगी और नियम तोड़ने वाली बसों को सीज किया जाएगा।
अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले जयपुर में स्कूल बसों के लिए चलाए गए ‘सुरक्षित सफर अभियान’ को बड़ी सफलता मिली थी। उस अभियान में करीब 2000 बालवाहिनी बसों में 90% तक मानक पूरे किए गए थे। उसी मॉडल पर अब सार्वजनिक और निजी बसों के लिए भी यह योजना लागू की जा रही है ताकि यात्रियों की जान की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।






