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जयपुर के डॉक्टर ने फ्लाइट में एयर-होस्टेस की जान बचाई:ऑस्ट्रेलिया से भारत आ रहे प्लेन में बिगड़ी थी तबीयत; इमरजेंसी लैंडिंग टली

ऑस्ट्रेलिया से भारत आ रही फ्लाइट में एयर होस्टेस की तबीयत अचानक बिगड़ गई। उस वक्त फ्लाइट करीब 30 हजार फीट की ऊंचाई थी। इसलिए पायलट इमरजेंसी लैंडिंग की तैयारी कर रहे थे। इसी दौरान फ्लाइट में मौजूद जयपुर के एक डॉक्टर की तत्परता ने सभी को परेशानी से बचा लिया। न तो फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिंग करवानी पड़ी और न ही एयर होस्टेस की जान गई। घटना 22 जून की बताई जा रही है।

सांस लेने में हुई थी तकलीफ

जयपुर के महात्मा गांधी हॉस्पिटल के मेडिसिन डिपार्टमेंट के हेड डॉ. पुनीत रिझवानी ने बताया कि वह ऑस्ट्रेलिया से भारत लौट रहे थे। वियना से उड़ान भरने के बाद फ्लाइट जब मध्य एशिया की ओर बढ़ रही थी।

तभी फ्लाइट में मौजूद 25 साल की एयर होस्टेस को अचानक सांस लेने में तकलीफ होने लगी। इसके कुछ ही देर में उसकी धड़कन असामान्य रूप से तेज हो गई। जिससे वह घबराकर लड़खड़ाने लगी।

फ्लाइट में हुए इस घटनाक्रम को देख पायलट इमरजेंसी लैंडिंग की तैयारी में थे। लेकिन उससे पहले एयर होस्टेस के प्राथमिक उपचार के लिए उन्होंने फ्लाइट में डॉक्टर की अनाउंसमेंट की।

डॉ. पुनीत रिझवानी जयपुर के महात्मा गांधी हॉस्पिटल के मेडिसिन डिपार्टमेंट के हेड हैं।

मसाज तकनीक से बची जान

एयर होस्टेस को सुप्रा वेंट्रीकुलर टैकीकार्डिया (एसवीटी) का अटैक आया था। जिससे उसकी हालत बिगड़ गई थी। डॉ रिझवानी ने बताया कि मैंने एयर होस्टेस को भरोसा दिलाते हुए उसे शांत किया।

फिर बिना इक्विपमेंट और मेडिसिन के कैरोटिड साइनस मसाज तकनीक से पेशेंट का इलाज किया। जिससे कुछ ही देर में वह ठीक महसूस करने लगी।

उन्होंने बताया कि इस तकनीक में जबड़े के नीचे करॉटिड आर्टरी को हल्के दबाव से 10 सेकेंड तक दबाया जाता है। इससे कुछ ही सेकेंड में मरीज की धड़कन सामान्य हो गई।

बॉडी कंडीशन और पल्स से की पहचान

डॉ. पुनीत ने बताया कि यह बहुत रेयर डिजीज है। जिसकी बिना ईसीजी पहचान करना भी काफी मुश्किल होता है। उन्हें थिंकिंग फीलिंग हो रही थी। इस तरह के सिम्पटम्स देख कर मुझे होस्टेस में SVT के लक्षण दिखे थे।

जरूरी नहीं है कि व्यक्ति अगर ऊंचाई पर है, तभी उसे इस तरह की परेशानी होगी। यह सामान्य घटना थी, जो इस बीमारी से ग्रसित मरीज को किसी भी वक्त हो सकती है।

यह बीमारी वर्तमान के खानपान और माहौल की वजह से किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। पिछले कुछ सालों में युवाओं में इस बीमारी के लक्षण काफी मिले हैं।

Kashish Bohra
Author: Kashish Bohra

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