बाड़मेर जिले में एक प्राइवेट हॉस्टल में बच्चों से हैवानियत का मामला सामने आया है। यहां रहने वाले बच्चों को गर्म सरिए से दागा जा रहा है। आरोप है कि जो मासूम नींद में टॉयलेट कर देते हैं उनके साथ ये हैवानियत की जा रही है।
यहां से एक बच्चे के भागने के बाद ये मामला सामने आया है। मासूम को इतना टॉर्चर किया गया कि उसके शरीर से खून निकलने लगा। पीड़ित बच्चों के वीडियो मंगलवार (19 अगस्त) को सामने आए हैं। गुस्साए परिजनों ने हॉस्टल के बाहर हंगामा भी किया।

मंदिर ट्रस्ट संचालित करता है ये हॉस्टल
दरअसल, जिले के सेड़वा थाना क्षेत्र में हरपालेश्वर मंदिर है। इसी मंदिर के परिसर में ट्रस्ट का एक हॉस्टल है। जिसमें घुमंतू परिवारों के साथ गरीब व अनाथ बच्चे रहते हैं।
यहां बच्चों को आध्यात्मिक शिक्षा दी जाती है। शनिवार (16 अगस्त) की रात को लोहे के सरिए से दागने के बाद एक बच्चा मंदिर परिसर से भाग कर बाहर निकला। वो हॉस्टल के बाहर आकर चिल्लाने लगा।
उसके शरीर से खून निकल रहा था। ग्रामीणों ने बच्चे को परिवार तक पहुंचाया। इसके बाद पूरा मामला खुला। बच्चे के शरीर पर दागने के निशान थे। उससे मारपीट भी की गई थी।

टॉयलेट करने वाले बच्चों को टॉर्चर कर रहे
आरोप है कि हॉस्टल में आध्यात्मिक शिक्षा देने वाला नारायणगिरी बच्चों को टॉर्चर करता है। जो मासूम नींद में बिस्तर गीला कर देते हैं उन्हें जांघ व शरीर के दूसरे हिस्सों को गर्म सरिए से दागा जाता है।
ऐसे करीब 8 से 10 बच्चे सामने आए हैं। वहीं, मंगलवार (19 अगस्त) को बच्चों के परिजनों ने हॉस्टल के बाहर जमकर हंगामा किया। मौके पर पहुंची पुलिस ने आरोपी को नारायणिगरी को हिरासत में लिया है। जानकारी के अनुसार आरोपी भरतपुर के रहने वाला है।

सरपंच बोले- पहले भी शिकायतें आई थीं
सारला सरपंच मोहनलाल ने बताया- एक व्यक्ति बच्चों के साथ अमानवीय कृत्य कर रहा है। पूर्व में भी इसकी शिकायतें आई थीं।लोगों ने ट्रस्ट की बदनामी के डर से मामला शांत कर दिया था। अब उसी व्यक्ति ने बच्चों के साथ मारपीट की है। उन्हें जगह-जगह से दागा दिया है।
2022 में खोला था आवासीय हॉस्टल
भारत-पाकिस्तान बॉर्डर से महज 20 किमी दूरी पर वर्ष 2008 में हरपालेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण करवाया गया। तीन साल पहले हरपालेश्वर मंदिर में आवासीय छात्रावास खोला गया।
जिसमें 2022 में 25 बच्चों का एडमिशन किया गया। ये बच्चे घुमंतु, आदिवासी, अनाथ और गरीब परिवारों के है। इन बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ पूजा-पाठ और आध्यात्मिक ज्ञान गुरुकुल पद्धति से दिया जा रहा है। इसके अलावा सारला की एक निजी स्कूल भी है।
