हाईकोर्ट ने अजमेर के पास बांदनवाड़ा में श्मशान के बाहर और हाईटेंशन लाइन के नीचे पेट्रोल पंप संचालन पर साल 2021 में लगाई अंतरिम रोक को स्थायी कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि यदि पंप के भूमिगत टैंक में पेट्रोल भरा है तो उसे हटाने की अनुमति दी जाती है।
कोर्ट ने एचपीसीएल को यह छूट दी है कि वह संचालक को पंप स्थापित करने के लिए वैकल्पिक जगह उपलब्ध कराए। जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश दीपक आचार्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
तय मापदंड की नहीं की थी पालना
याचिका में वकील सुनील समदडिया और अरिहंत समदडिया ने बताया कि एचपीसीएल ने साल 2021 में अजमेर के पास बांदनवाड़ा में पेट्रोल पंप का आवंटन किया था। नियमानुसार संवेदनशील क्षेत्र के तीस मीटर और स्कूल के पचास मीटर में पेट्रोल पंप नहीं खुल सकता। इसके बावजूद यहां श्मशान से 25 मीटर और 11 हजार केवी लाइन से महज 18 मीटर दूरी पर पेट्रोल पंप आवंटित किया गया है।
श्मशान तेज आग वाला स्थान है और हाईटेंशन लाइन में 11 हजार केवी की बिजली प्रवाहित होती है। ऐसे में यहां पेट्रोल पंप नहीं खोला जा सकता। यदि दुर्घटनावश यहां पेट्रोल लीक हो जाए तो बड़ी आबादी प्रभावित होगी। इसके अलावा यह संवेदनशील जगह से निर्धारित दूरी पर भी नहीं है।
याचिका में कहा गया कि एनजीटी ने भी 22 जुलाई, 2019 को पेट्रोल पंप स्थापित करने के लिए मापदंड तय किए हैं, लेकिन मामले में उनकी भी अनदेखी की है। ऐसे में यहां से पेट्रोल पंप हटाया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने 6 अक्टूबर, 2021 को पंप संचालन पर अंतरिम रोक लगा दी थी। सुनवाई के दौरान पंप संचालक ने प्रार्थना पत्र दायर कर कहा कि अदालत ने सिर्फ याचिकाकर्ता को सुनकर ही अंतरिम रोक लगाई है। ऐसे में अंतरिम आदेश को रद्द किया जाए। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने अंतरिम रोक को स्थायी करते हुए मामले की सुनवाई 14 मई को तय की है।
