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सृजन से सुधार की ओर: बंदियों की प्रेरणादायक पहल

विशिष्ट केंद्रीय कारागार श्यालावास में बंदियों ने गुरु नानक देव जी की जयंती की पूर्व संध्या पर एक अत्यंत प्रेरणादायक और रचनात्मक पहल की। बंदी कलाकारों ने कारागृह परिसर की शुद्ध मिट्टी का उपयोग कर एक सुंदर और कलात्मक सैंड आर्ट तैयार की, जिसने सभी का ध्यान आकर्षित किया।

इस कलाकृति के मुख्य कलाकार बंदी राजेश थे, जिन्हें बंदी संदीप गुप्ता का महत्वपूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ। गुरु नानक देव जी की शाश्वत शिक्षाओं से प्रेरित होकर इस सैंड आर्ट में शांति, प्रेम और सेवा के संदेश को प्रमुखता से अभिव्यक्त किया गया है।

कलाकृति में विशेष रूप से गुरु नानक देव जी के मूल उपदेशों “नाम जपो, कीरत करो, वंड छको” को संतुलन, श्रद्धा और सौंदर्य के साथ दर्शाया गया है।

कारागार अधीक्षक पारस जांगिड़ ने इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे रचनात्मक आयोजन बंदियों के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने बताया कि ये गतिविधियाँ न केवल बंदियों की सृजनशीलता को बढ़ावा देती हैं बल्कि उनमें आत्म-चिंतन और सुधार की भावना को भी मजबूती से प्रोत्साहित करती हैं। यह पहल दिखाती है कि जेल एक सुधारगृह के रूप में बंदियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास कर रहा है।

इस पूरे सृजन कार्य को जेलर विकास बागोरिया एवं डिप्टी जेलर दिलावर ख़ान की सक्रिय देखरेख में सफलतापूर्वक पूर्ण किया गया। इन अधिकारियों की उपस्थिति ने बंदियों के मनोबल को बढ़ाने का काम किया। गौरतलब है कि गुरु नानक जयंती के पावन अवसर पर जेल उद्योगशाला में अवकाश रखा जाता है, ताकि सभी इस पर्व को शांतिपूर्ण तरीके से मना सकें।

Kashish Bohra
Author: Kashish Bohra

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