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दिन में व्रत रखकर रात को शराब पीती थीं:ममता कुलकर्णी ने कहा, एक-दो नवरात्र ऐसे हो गए, जब मैं 2 पैग स्कॉच मार लेती थी

महामंडलेश्वर बनकर विवादों से घिरीं ममता कुलकर्णी ने हाल ही में व्रत पर बेहद विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि एक समय ऐसा था जब वो दिन में व्रत रखती थीं और रात को शराब पीती थीं। शराब के नशे में वो कई घंटों तक बाथरूम में बंद रहती थीं।

हाल ही में आप की अदालत में पहुंचीं ममता कुलकर्णी से पूछा गया कि जब आप फिल्मों में थीं तब भी नवरात्र के व्रत रखती थीं और शाम को ताज होटल में जाकर 2 पैग स्कॉच लगाती थीं। इस पर ममता कुलकर्णी ने कहा, बॉलीवुड जब मेरी लाइफ थी, तो मैं जिधर भी जाती थी शूटिंग में तो मेरे साथ 3 सूटकेस होते थे। एक सूटकेस कपड़ों का एक मंदिर का। मंदिर का सूटकेस हमेशा चलता था मेरे साथ। मुझे कोई भी रूम दिया जाता था तो पूरा एक टेबल मेरे चेहरे के लिए होता था। मैं वो टेबल पूजा के लिए रखती थी। मैं उस टेबल में देवी-देवताओं को स्थापित करती थी। पूजा करने के बाद ही मैं शूटिंग में जाती थी।

ममता कुलकर्णी को हाल ही में किन्नर अखाड़े से महामंडलेश्वर का पद दिया गया है।
ममता कुलकर्णी को हाल ही में किन्नर अखाड़े से महामंडलेश्वर का पद दिया गया है।

आगे उन्होंने कहा, नवरात्रि भी 9 दिनों का संकल्प होता है। उसका मैंने अनुष्ठान रखा था कि मैं 9 दिन सिर्फ जल पर नवरात्र का व्रत करूंगी और 3 यज्ञ करूंगी, सुबह, दोपहर, रात। 9 दिन मैंने चंदन की लकड़ियों के साथ यज्ञ किया। 9 दिन सिर्फ पानी पर यज्ञ किया। जैसा कि मैंने कहा कि काफी जन्मों का अपना अभ्यास होता है, वो मुझे नहीं पता था। मैं यज्ञ करते हुए ही 3-3, 4-4 घंटों का ध्यान करती थी। जो मेरे डिजाइनर थे बॉलीवुड के वो आकर बोलते थे ये सब क्या हो रहा है, तुम बहुत सीरियस हो रही हो। मैं भी कहती थी कि हां मुझे भी लगता है मैं बहुत सीरियस हो रही हूं। वो डिजाइनर मुझे अपने साथ चलने को कहते थे।

आगे एक्ट्रेस ने कहा, मैं जाती थी ताज में। एक दो नवरात्र ऐसे हो गए। उस समय मैं स्कॉच लेती थी। तो मैं 2 पैग मार लेती थी। मेरा डिजाइनर था कंवल जीत नाम का। मैं उससे कहती थी कंवल रुको, मैं वॉशरूम से आती हूं। मेरी 9 दिन की तपस्या ऐसी थी कि मेरे अंदर अन्य नहीं था। ऐसे में शराब पीते ही मेरे अंदर आग महसूस होने लगती थी। मैं बाथरूम जाती थी, तो आंख बंद करके बैठती थी। मुझे समझ नहीं आता था कि क्या हो रहा है। ऐसे 40 मिनट हो गए। बाथरूम के बाहर भीड़ लग गई। मेरे डिजाइनर और मेकअप वाले बाहर से दरवाजा खटखटाते थे कि मैं ठीक हूं या नहीं। मैंने उनसे कहा, सॉरी मुझे नहीं पता मेरे साथ क्या हुआ।

ममता ने बातचीत में ये भी बताया कि ये वाकया 1996-97 का था। जब तपस्वी ने देखा कि वो लोगों के बहकावे में ये कर रही हैं, तो उन्होंने ममता की तपस्या के लिए दूसरा स्थान बना दिया, जहां उन्होंने 12 साल तपस्या की है।

Kashish Bohra
Author: Kashish Bohra

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