राजस्थान हाईकोर्ट ने मेहंदीपुर बालाजी स्थित एसबीआई शाखा में करोड़ों रुपए के सिक्कों के घोटाले के मुख्य आरोपी और तत्कालीन कैश ऑफिसर राजेश कुमार मीणा की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।
जस्टिस अनिल कुमार उपमन की अदालत ने जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा-आर्थिक अपराधों को सामान्य अपराधों से अलग नजरिए से देखा जाना चाहिए, क्योंकि इनका प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था और समाज के कल्याण पर पड़ता है।
ऐसे अपराधी केवल अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए जनता के धन का दुरुपयोग करते हैं। जिससे समाज के कल्याण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
चार साल की फरारी के बाद हुई थी गिरफ्तारी इस मामले में सीबीआई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जगमोहन सक्सेना ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी ने जांच में सहयोग नहीं किया और बार-बार समन भेजे जाने पर भी पेश नहीं हुआ। आरोपी ने गबन की गई राशि अपने और अपने परिवार के बैंक खातों में ट्रांसफर की और बड़ी मात्रा में यह रकम जुए में भी खर्च की। गवाहों के बयान और बैंक खातों की जांच से यह बात सामने आई है।
मामले में झूठा फंसाया गया वहीं, आरोपी राजेश मीणा की ओर से कहा गया कि उसे झूठे आरोपों में फंसाया गया है। चार्जशीट पहले ही दाखिल की जा चुकी है, इसलिए आगे की हिरासत जरूरी नहीं है। सक्षम प्राधिकारी से अभियोजन स्वीकृति भी नहीं मिली हैं। इससे ट्रायल भी शुरू नहीं हो सका हैं।
मामले में सह-आरोपियों की गिरफ्तारी के बिना ही चार्जशीट पेश की गई है। ऐसे मे उसे जमानत दी जाए।
सिक्कों से किया था करोड़ों का घोटाला सीबीआई के अनुसार मेहंदीपुर बालाजी मंदिर ट्रस्ट में श्रद्धालुओं द्वारा दिए गए सिक्कों को एसबीआई शाखा में जमा कराया जाता था। बैंक प्रबंधन ने इन सिक्कों की गिनती के लिए एक निजी फर्म को टेंडर दिया था।
बैंक रिकॉर्ड के अनुसार शाखा में 13 करोड़ 62 लाख 11 हजार 275 रुपए के सिक्के दर्ज थे। लेकिन गिनती में सिर्फ 1 करोड़ 39 लाख 60 हजार रुपए के ही सिक्के पाए गए। इस मामले की जांच कर रही CBI ने इसे 365 करोड़ रुपये का घोटाला बताया है।
राजेश मीणा बीते चार वर्षों से फरार चल रहा था। उसे 9 अप्रैल 2025 को CBI ने गिरफ्तार किया था। आरोप है कि आरोप ने मेहंदीपुर बालाजी मंदिर ट्रस्ट से प्राप्त दान राशि में गड़बड़ी करते हुए नोटों की रकम को सिक्कों के रूप में दर्शाकर गबन किया।





