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वनस्पति तेल आपूर्ति श्रृंखला पर संवाद एवं परामर्श कार्यक्रम का आयोजन

भारत में आत्मनिर्भरता एवं सततता को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से “वनस्पति तेल आपूर्ति श्रृंखला के हितधारकों के साथ संवाद एवं परामर्श” विषय पर एक दिवसीय कार्यक्रम का सफल आयोजन राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान , दुर्गापुरा, जयपुर में किया गया।

यह कार्यक्रम सॉलिडेरिडाड रीजनल एक्सपर्टीज सेंटर एवं स्टार सोसायटी, जयपुर द्वारा आईसीएआर–भारतीय सरसों अनुसंधान संस्थान (ICAR–IIRMR), भरतपुर तथा श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय (SKNAU), जोबनेर–जयपुर के सहयोग से आयोजित किया गया।

कार्यक्रम का उद्देश्य शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं, विस्तार अधिकारियों, उद्योग प्रतिनिधियों तथा कृषकों को एक साझा मंच पर लाकर भारत में वनस्पति तेल आपूर्ति श्रृंखला को सशक्त, आत्मनिर्भर एवं सतत बनाने के उपायों पर विचार-विमर्श करना था।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. पुष्पेन्द्र सिंह चौहान, कुलगुरु, श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर रहे।
विशिष्ट अतिथियों में डॉ. आर. के. माथुर, निदेशक, आईसीएआर–आईओओआर, हैदराबाद; डॉ. वी. वी. सिंह, निदेशक, आईसीएआर–आईआईआरएमआर, भरतपुर; डॉ. मेघेन्द्र शर्मा, सचिव, विज्ञान भारती, राजस्थान; डॉ. एन. के. गुप्ता, निदेशक (पीएमई), एसकेएनएयू, जोबनेर; डॉ. अशोक शर्मा, प्रधान वैज्ञानिक, आईआईआरएमआर; डॉ हरफूल सिंह,निदेशक,रारी,
श्री हेमांशु बेदा, वरिष्ठ प्रबंधक, एवं श्रीमती पूर्वा, प्रबंधक, सॉलिडेरिडाड रीजनल एक्सपर्टीज सेंटर उपस्थित रहे।
मुख्य अतिथि प्रो. चौहान ने अपने उद्घाटन संबोधन में कहा कि भारत वर्तमान में अपनी वनस्पति तेल की लगभग 60% आवश्यकता आयात से पूरी करता है, जो आत्मनिर्भर भारत के लिए चुनौती है। उन्होंने वैज्ञानिकों, उद्योगों एवं कृषकों से मिलकर तकनीकी नवाचार, उन्नत कृषि प्रबंधन एवं मूल्य श्रृंखला सुदृढ़ीकरण की दिशा में सामूहिक प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने जैविक तिलहन उत्पादन, ग्राम स्तर पर प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना एवं “वोकल फॉर लोकल” दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. एन. के. गुप्ता के स्वागत उद्बोधन से हुआ। डॉ गुप्ता ने आरएआरआई द्वारा विकसित 150 से अधिक उच्च उत्पादकता वाली फसल किस्मों का उल्लेख करते हुए तिलहन फसलों की उत्पादकता एवं लाभप्रदता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे देश की तेल आयात निर्भरता घटाई जा सके।निदेशक रारी,डॉ हरफूल सिंह ने पुष्प गुच्छ से संस्थान पर आगंतुकों का स्वागत किया।डॉ. वी. वी. सिंह ने सरसों एवं रेपसीड की उच्च उत्पादकता वाली किस्मों के विकास एवं तकनीकी हस्तांतरण में संस्थान की भूमिका पर प्रकाश डाला।
डॉ. आर. के. माथुर ने किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि एफपीओ किसानों को सामूहिक शक्ति प्रदान कर उन्हें इनपुट, तकनीक एवं बाजार तक बेहतर पहुँच दिलाते हैं।
श्री हेमांशु बेदा ने सॉलिडेरिडाड के वैश्विक अनुभव साझा करते हुए बताया कि संस्था 52 देशों में सतत कृषि मूल्य श्रृंखला सुदृढ़ीकरण हेतु कार्यरत है।
कार्यक्रम के दौरान विभिन्न सत्रों में वैज्ञानिकों, उद्योग प्रतिनिधियों, विस्तार अधिकारियों एवं कृषकों ने वनस्पति तेल आपूर्ति श्रृंखला की उत्पादकता, लाभप्रदता एवं सततता में सुधार हेतु अपने विचार प्रस्तुत किए तथा व्यावहारिक रणनीतियाँ सुझाईं।
उद्घाटन कार्यक्रम का समापन श्रीमती पूर्वा, प्रबंधक,सॉलिडेरिडाड रीजनल एक्सपर्टीज सेंटर द्वारा आभार ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों एवं सहयोगी संस्थानों के प्रति उनके बहुमूल्य योगदान के लिए धन्यवाद व्यक्त किया।प्रधान वैज्ञानिक डॉ अशोक शर्मा ने पूरे कार्यक्रम का प्रभावी संचालन करते हुए कृषकों को खेती में नवाचारों को सम्मिलित करते हुए तेल वाली फसलों की उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दिया।

Kashish Bohra
Author: Kashish Bohra

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