ये दर्द है उत्तर प्रदेश (UP) के देवरिया जिले की रहने वाली मासूम का। पीड़ित किसी तरह पुलिस तक पहुंची और केस दर्ज कराया तो उसके पिता ने ही आरोपियों को सजा दिलाने की बजाय उसे बालिग बताने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करा डाले।
पढ़िए 14 साल की मासूम की दर्दनाक कहानी…
16 जुलाई 2024 को 13 साल 9 महीने के मासूम गोद में 2 महीने की बच्ची को लिए मुरलीपुरा थाने आई। पुलिस को बताया कि वह मूलत: देवरिया जिले के एक गांव की रहने वाली है। यहां वह मुरलीपुरा इलाके में किराए पर अपने ससुराल में रह रही थी।
उसने बताया कि उसकी बुआ ने 11 साल की उम्र में उसे युवक को बेच दिया। उस युवक ने उसे पत्नी की तरह रखा। इस दौरान उसके ससुर ने उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया।
पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच इनवेस्टिगेटिव यूनिट्स फॉर क्राइम अगेंस्ट वीमेन (SIUCAW) के तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त गुरुशरण राव को सौंपी। उन्होंने पीड़ित की ओर से केस दर्ज कराया।

अब जानिए.. पिता ने क्यों बुआ के घर छोड़ा
पुलिस जांच में सामने आया कि लड़की के माता–पिता में अक्सर विवाद होता था। इसके कारण उसकी मां उसे पिता के पास छोड़कर कहीं चली गई। पिता ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई और बचपन में ही उसे जयपुर में रह रही बुआ के पास छोड़ दिया। बुआ ने कोटपुतली बहरोड़ के रोडवाल गांव के युवक से साल 2020 में अंतरजातीय विवाह कर लिया। इसके बाद से बुआ लड़की की देखरेख नहीं कर रही थी।
12 साल की उम्र में मां बन गई बुआ ने लड़की को 2021 में हरियाणा के चरखी दादरी जिले के बधवाना गांव के युवक को 2 लाख रुपए में बेच दिया। उस समय बच्ची की उम्र महज 11 साल थी। युवक लड़की के पिता की तरह मजदूरी करता था। वह मासूम को पत्नी की तरह रखने लगा। 3 साल तक ससुर ने उसके साथ कई बार रेप किया।
12 साल की उम्र में साल 2022 में लड़की एक बेटे की मां बन गई। 2023 में वह दूसरी बार मां बनी और उसने बेटी को जन्म दिया। 14 साल की होने से पहले ही लड़की दो बच्चों की मां बन गई।
पुलिस जांच में जुर्म साबित होने पर पुलिस ने आरोपी पति, ससुर और लड़की की बुआ को 18 जुलाई 24 को उनके मुरलीपुरा स्थित किराए के घर से गिरफ्तार किया। पुलिस ने आरोपियों को अगले दिन कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया। मामले के खुलासे के बाद पुलिस ने लड़की की मां की तलाश शुरू की, पर सफलता नहीं मिली।
डीएनए जांच में ससुर निकला दोनों बच्चों का पिता पुलिस ने 23 जुलाई 24 को लड़की के बेटे और 24 जुलाई 2024 को बेटी का डीएनए लिया गया। इन्हें जांच के लिए 29 अगस्त 24 को एफएसएल में जमा करवाया। इसकी रिपोर्ट करीब 15 दिन बाद मुरलीपुरा पुलिस को 12 सितबंर 24 को मिली। लड़की के दोनों बच्चों का डीएनए ससुर से मैच हो गया। इससे इस बात की पुष्टि हो गई कि 59 साल के ससुर ने ही बच्ची से दुष्कर्म किया।
इधर, पुलिस ने लड़की और उसके बच्चों को 17 जुलाई 24 को गांधी नगर के बालिका गृह में रखवाया। लड़की के परिवार में कोई संरक्षक नहीं होने पर मुरलीपुरा पुलिस ने बालिका गृह को पत्र लिखकर बच्ची की देखभाल करने को कहा।

भाई ने भी देखभाल नहीं की पुलिस जांच के दौरान ही नवंबर में पीड़ित लड़की का भाई बालिका गृह पहुंचा और लड़की को अपने साथ ले गया। भाई ने लड़की की देखभाल करने का भरोसा दिलाया।
डीसीपी वेस्ट अमित कुमार ने बताया कि लड़की कथित शादी से पहले कुछ दिनों तक अपने भाई के साथ रही थी। उस दौरान भी उसने लड़की की देखभाल नहीं की। वह भी लड़की के पिता, बुआ और अन्य रिश्तेदारों की तरह उसकी देखभाल नहीं करता। इस कारण उसे संरक्षक के तौर पर नहीं सौंपा जा सकता। इसलिए पुलिस को जब इसकी जानकारी मिली तो पुलिस ने 22 जनवरी को सीडब्लूसी के जरिए दोबारा पीड़िता को बालिका गृह भेजा।
पिता ने भी बेटी को दिया धोखा, फर्जी दस्तावेज बनवाए जांच के दौरान पुलिस ने लड़की की मेडिकल जांच कराई गई। इसमें लड़की नाबालिग निकली। पुलिस ने देवरिया (UP) के उस स्कूल से दस्तावेज भी जुटाए, जहां पहले लड़की पढ़ती थी।
लड़की के पिता ने 3 साल से नर्क भोग रही बेटी का साथ देने के बजाय आरोपियों की मदद की। पिता ने स्कूल प्रिंसिपल से मिलकर स्कूल रजिस्टर में पीड़िता की जन्मतिथि में कांट छांट कर 23 अक्टूबर 2010 को बदलकर 10 मार्च 2003 करवा दी।
पुलिस के चालान पेश करने के दौरान इन फर्जी दस्तावेज के आधार पर लड़की को बालिग बताकर कोर्ट में पेश किया। इस पर मुरलीपुरा पुलिस की एक टीम को एएसआई बलबीर सिंह के नेतृत्व में 18 अगस्त 24 को देवरिया स्थित स्कूल भेजा।
जांच में सामने आया कि रिकार्ड में सफेद स्याही लगाकर कांट-छांट की गई। जांच में स्कूल का जन्म प्रमाण पत्र फर्जी निकला। पुलिस ने रिकाॅर्ड जब्त कर लिया। पुलिस ने इस संबंध में अलग से केस दर्ज कर जांच शुरू की।
पुलिस ने लड़की के पिता और देवरिया जिले के स्कूल के प्रिंसिपल को 6 सितम्बर 24 को गिरफ्तार किया। दोनों आरोपी अभी जेल में हैं।
बालिका गृह बना पीड़ित लड़की का नया घर पीड़ित लड़की की मां के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। लड़की के पिता, बुआ, पति और ससुर उसकी खरीद फरोख्त में शामिल रहे और अब जेल में हैं। अन्य रिश्तेदारों ने भी लड़की की देखभाल नहीं की। इसलिए पीड़ित लड़की काे बालिका गृह में ही रखा गया है। अब वो अपने बच्चों के साथ यहीं रह रही है।
लड़की के पुर्नवास और संरक्षण की व्यवस्था करने के लिए लेटर लिखा डीसीपी वेस्ट अमित कुमार ने जयपुर कलेक्टर को दूसरी बार 31 जनवरी को पत्र लिखकर लड़की के पुनर्वास और संरक्षण की व्यवस्था करने के लिए पत्र लिखा। ताकि लड़की व उसके दोनों बच्चों की बालिग होने तक उचित देखभाल हो सके।
इस पर जयपुर कलेक्टर डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी ने लड़की के पुनर्वास की व्यवस्था की। उन्होंने बताया कि पीड़िता के रहने आवास व आर्थिक मदद की व्यवस्था की गई है।
बालिका गृह की अधीक्षक विद्या चौधरी ने बताया- लड़की की अब तक 3 बार काउंसलिंग की जा चुकी है। लड़की अपने भाई के साथ बाहर जाना चाहती है। उसे समझाया गया है कि बालिका गृह से बाहर रहना सुरक्षित नहीं है। पीड़ित लड़की को पारिवारिक माहौल देने का प्रयास कर रहे हैं। दोनों बच्चों को शिशु गृह में शिफ्ट कराया है, जहां उनकी परवरिश की जा रही है।
