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कैंसर-रोगी की एक्सीडेंटल मौत बताई,50 लाख क्लेम लेने की साजिश:प्राइवेट डिटेक्टिव की जांच में सामने आई सच्चाई; बेटा, डॉक्टर, एएसआई समेत 5 गिरफ्तार

कैंसर से हुई मौत को एक्सीडेंटल बताकर 50 लाख रुपए का क्लेम लेने की साजिश करने वाले 5 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इनमें मृतक का बेटा, दो वकील, तत्कालीन पीएमओ (अब मेडिकल ज्यूरिस्ट) और तत्कालीन एएसआई (अब रिटायर्ड) शामिल हैं।

मामला साल 2016 का है। परिजनों ने कंपनी के सामने झूठी रिपोर्ट पेश कर 50 लाख रुपए का क्लेम उठाने की अपील की। कागजातों पर संदेह होने पर कंपनी ने क्लेम जारी नहीं किया और प्राइवेट डिटेक्टिव से जांच करवाई थी। इसके बाद साल 2023 में सदर थाने में केस दर्ज कराया था।

इंश्योरेंस पॉलिसी कराई तो कैंसर के बारे में नहीं बताया
डीएसपी सूर्यवीर ने बताया- देवेंग पटेल निवासी बोरवट (बांसवाड़ा) तीसरी स्टेज के कैंसर से पीड़ित था। तब दो वकील बोदला निवासी हितेश पटेल और सालिया निवासी महेंद्र पटेल देवेंग के बेटे योगेंद्र से मिले। इसके बाद इन लोगों ने मई 2015 में देवेंग पटेल के नाम से केयर हेल्थ इंश्योरेंस (रेलीगेयर) कंपनी में 50 लाख रुपए की इंश्योरेंस पॉलिसी कराई, उसमें कैंसर की बीमारी के बारे में नहीं बताया। 14 मई 2016 को दोपहर करीब 2.30 बजे देवेंग की अचानक तबीयत खराब हुई तो उसे बांसवाड़ा के महात्मा गांधी जिला अस्पताल ले जाया गया। जहां इलाज के दौरान उसी दिन उसकी मौत हो गई।

टॉयलेट में गिरने से आई चोट से मौत बताई
डीएसपी ने बताया- मौत की सूचना पर दोनों वकील भी अस्पताल पहुंचे और मृतक के बेटे योगेंद्र के साथ मिलकर साजिश रची। इन लोगों ने बांसवाड़ा सदर थाने के तत्कालीन एएसआई योहन कुमार, बांसवाड़ा जिला अस्पताल के तत्कालीन पीएमओ और अब प्रतापगढ़ मेडिकल जूरिस्ट रवि उपाध्याय को भी साजिश में शामिल किया और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए मॉर्च्युरी में शिफ्ट कराया। इन लोगों ने मिलीभगत कर प्राकृतिक मौत को एक्सीडेंटल बताया। बेटे योगेंद्र ने रिपोर्ट में बताया कि पिता टॉयलेट के लिए जा रहे थे और गिरने से उनकी मौत हो गई। पीएमओ ने भी चोट लगने से मौत बताई। इसके बाद पुलिस ने पोस्टमॉर्टम करवाकर शव परिजनों को सौंप दिया।

इंश्योरेंस कंपनी की जांच में झूठा क्लेम उठाने की बात आई सामने
डीएसपी ने बताया कि देवेंग की मौत के कुछ दिनों बाद उनके बेटे ने इंश्योरेंस कंपनी के सामने झूठी रिपोर्ट पेश कर 50 लाख रुपए का क्लेम उठाने की अपील की। कंपनी ने दस्तावेजों की पड़ताल की तो मृतक की हेल्थ रिपोर्ट में सही जानकारी नहीं मिली। कागजातों पर संदेह होने पर कंपनी ने क्लेम जारी नहीं किया और 2 अलग-अलग प्राइवेट डिटेक्टिव से जांच करवाई। इसमें झूठी मौत की रिपोर्ट दिखाकर क्लेम उठाने की बात सामने आई। इस पर मार्च 2023 में इश्योरेंस कंपनी के प्रतिनिधि मिलाप सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई और इसमें डॉक्टर और पुलिसकर्मी के शामिल होने की आशंका जताई गई।

2 वकील भी साजिश में थे शामिल
डीएसपी सूर्यवीर ने बताया- पुलिस ने पूरी जांच के बाद 11 जुलाई 2024 को मृतक देवेंग पटेल के बेटे योगेंद्र पटेल, तत्कालीन पीएमओ डॉ. रवि उपाध्याय और तत्कालीन एएसआई योहन कुमार को पूछताछ के लिए थाने बुलाया। आरोप साबित होने और क्लेम में फर्जी दस्तावेज बनाने की बात कबूलने के बाद तीनों को उसी समय गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में योगेंद्र ने बताया कि प्रकरण में 2 वकील हितेश पटेल और महेंद्र पटेल भी शामिल हैं।

दोनों वकीलों को भीलवाड़ा से किया गिरफ्तार
उन्होंने बताया- तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी की जानकारी मिलने केबाद दोनों वकील फरार हो गए थे। पुलिस ने इनकी लोकेशन ट्रेस की तो भीलवाड़ा की आई। इसके बाद इनकी गिरफ्तारी के लिए एक पुलिस टीम को रवाना किया, जो शुक्रवार रात को भीलवाड़ा से इनको पकड़कर बांसवाड़ा लाई। शनिवार को पूछताछ के बाद इन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

2 एजेंसियों से कराई जांच में कैंसर से मौत का पता चला
इंश्योरेंस कंपनी के प्रतिनिधि मिलाप सिंह ने बताया कि बीमा क्लेम के कागजातों पर संदेह होने पर पहले हमने फोर्थ फोर्स एजेंसी से थर्ड पार्टी इन्वेस्टिगेशन कराई, जिसमें पता चला कि मौत कैंसर से हुई है। इस पर हमने क्लेम रिजेक्ट कर दिया। क्लेम रिजेक्ट होने पर इन लोगों ने डिस्ट्रिक्ट कंस्यूमर फोरम में वाद पेश किया। वहां से दोबारा क्लेम के लिए रिकमंडेशन आया। इस पर हमने एक बार फिर एवीएन एसोसिएट्स से दोबारा जांच कराई, ताकि कोई पात्र वंचित नहीं रहे। इस इन्वेस्टिगेशन में भी यही सामने आया कि मौत कैंसर से हुई थी। इसके बाद हमने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

गिरोह के शामिल होने की आशंका
उधर, पुलिस का कहना है कि ऐसे कई मामले हैं, जिनमें झूठी मौत की रिपोर्ट दिखाकर क्लेम उठाया जा रहा है। ऐसे मामलों में एक गिरोह के शामिल होने की भी सूचना है। इसके लिए पुलिस की ओर से जांच की जा रही है। प्रारंभिक तौर पर इसमें कई डॉक्टर, नर्सिंग कर्मी और पुलिसकर्मियों के शामिल होने की आशंका है। गिरोह के बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ समेत अन्य आसपास के जिलों में एक्टिव होने की आशंका है।

Kashish Bohra
Author: Kashish Bohra

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