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उप मुख्यमंत्री एवं पर्यटन, कला एवं संस्कृति मंत्री दिया कुमारी ने छौटी चौपड़ में तीज माता की सवारी की पहली बार महाआरती की

महिलाओं के रंग बिरंगे तीज त्यौहार के अवसर पर राजस्थान पर्यटन विभाग की ओर से जयपुर में 27 एवं 28 जुलाई को आयोजित दो दिवसीय तीज महोत्सव-2025 के अवसर पर पहले दिन रविवार को पारम्परिक तीज माता की सवारी निकाली गई। इस पारम्परिक तीज महोत्सव में तीज माता की भव्य शोभा यात्रा में बड़ी संख्या में महिलाएं, आम नागरिक, देशी-विदेशी पर्यटक शामिल हुए।

राजस्थान पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित तीज महोत्सव के अवसर पर तीज माता की आरती के लिए छौटी चौपड़ पर बड़े मंच पर राजयपाल श्री हरिभाऊ बागडे, विधानसभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी, उप मुख्यमंत्री एवं पर्यटन एवं कला एवं संस्कृति मंत्री दिया कुमारी, उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल जी महाराज, विधायक बालमुकुंद आचार्य, विधायक गोपाल शर्मा, प्रमुख शासन सचिव पर्यटन कला एवं संस्कृति श्री राजेश यादव एवं पर्यटन आयुक्त श्रीमती रुक्मणि रियाड़, जयपुर नगर निगम हेरिटेज कुसुम यादव, जयपुर नगर निगम ग्रेटर सौम्या गुर्जर एवं आम नागरिक, बड़ी संख्या में महिलाएं तथा देशी विदेशी पर्यटक, मीडिया बंधु, पत्रकार गण एवं सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर उपस्थित रहें।

उप मुख्यमंत्री एवं पर्यटन, कला एवं संस्कृति मंत्री दिया कुमारी ने छौटी चौपड़ पर बड़े मंच पर तीज माता की सवारी की पहली बार भव्य महाआरती की।

तीज माता की भव्य शोभायात्रा ने सभी को आकर्षित

तीज माता की भव्य और शाही शोभायात्रा जनानी ड्यौड़ी, सिटी पैलेस, त्रिपोलिया गेट से शुरू होकर छोटी चौपड़, चौगाण स्टेडियम होते हुए तालटोरा पौण्ड्रीक पार्क तक पहुंची।

छौटी चौपड़ पर तीज माता की शानदार शोभायात्रा में राजस्थानी झांकियाँ, घोड़े-बग्घियाँ, सजे धजे हाथी, ऊंट, बैल, बैण्ड, शहनाई-नगाड़े से सुसज्जित शाही लवाजमा के साथ नारी शक्ति और लोक सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दी गई।

लोक कलाओं में निपुण लगभग 200 कलाकारों ने राजस्थान की रंगबिरंगी संस्कृति को किया साकार

तीज माता की शोभायात्रा की शुरुआत में बनवारीलाल जाट की कच्छी घोड़ी की पहली झांकी दिखाई दी। इसके पश्चात शेखावाटी क्षेत्र के गैर नृत्य की झांकी ने दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित किया। बहुरुपिया कलाकार ने श्री नारद, श्री कृष्ण, श्री शंकर भोले जैसे अपने बहुरूपों से मोहित किया। अंतराष्ट्रीय पूरणनाथ सपेरा ने अपनी मधुर स्वर लहरी से एवं कालबेलिया नृयंगानाओं ने अपनी मोहक नृत्य कला से दर्शकों की करतल ध्वनि से वातावरण गुंजायमान कर दिया। चरी नृत्य, हेला ख्याल की शानदार प्रस्तुतियों की झाकियों के बाद जयपुर के अंतराष्ट्रीय कठपुतली कलाकार राजू भाट ने अपनी अंगुलियों की धुन पर कठपुतलियों का नर्तन करवाकर राजस्थान की अंतराष्ट्रीय कला पहचान का परिचय दिया। राजस्थान के नागौर जिले के रहने वाले राजस्थान पर्यटन की पहचान कलाकारों तेजपाल नागौरी के दल ने भी अपनी कच्छी घोड़ी और बांक्या वादन से समाबांध दिया। ध्वज वाहकों की हाथियों की शाही सवारी, ताल से ताल मिला गीत को बैंड वादकों को दल ने मधुर स्वरलहरियों से सभी मन्त्रमुग्ध कर दिया। लाल कपड़े से सजे हुए बैल, बैल गाड़ी चालक भी लाल कपड़ों में उसके पीछे ऊंटों की कतार, जिन पर पारम्परिक राजस्थानी वेशभूषा पहने हुए और तलवार के साथ मूछों को भी तान कर चल रहें थे, जो राजस्थान की रणबंकुरी संस्कृति को शान से पेश करती है। मोर डांस और बड़ा नंगारा नाद करता सुनाई दिया। शाही घोड़ों की सवारी और फिर शाही बग्गियां और फिर सजे धजे हाथियों की लंबी कतार दिखाई दी। और फिर वो सर्व प्रतिक्षित वो क्षण आया जब तीज माता की भव्य सवारी त्रिपोलिया गेट से अवतरित होती दिखाई। सबसे पहले लाल बग्घी, बैंड टोली और तीज माता की सवारी आई। त्रिपोलिया के दोनों ओर खचखच दर्शकों ने तीज माता के जयकारे लगाये।

भव्य रूप से आयोजित तीज उत्सव और तीज माता की अद्भुत शोभायात्रा में राजस्थान की लोक कलाओं में निपुण लगभग 200 कलाकारों ने राजस्थान की रंगबिरंगी संस्कृति को साकार साकार कर दिया। लोक-कलाकार ने अपनी कलाओं के प्रदर्शन से जयपुर वासियों सहित यहां आने वाले देशी विदेशी पर्यटकोंं को राजस्थान की शानदार कला संस्कृति से परिचित करवाया।

महिलाओं की झाँखी
तीज माता की सवारी के दौरान महिलाओं की झाँखी सभी के लिए प्रमुख आकर्षित करने वाली रही। रंग बिरंगी लहरिया साडिया पहनकर माथे पर कलश रखकर नाचती गाती महिलाओं की झांकी ने राजस्थान की अद्भुत संस्कृति को साकार कर दिया।

महिला पंडितों ने किया पूजन

तीज माता की सवारी के दौरान तीज माता का पूजन महिला पंडितों के द्वारा किया गया।

सजीव प्रसारण

लोक उमंगो से ओतप्रोत इस अनोखे रंगीले तीज उत्सव का विभिन्न मीडिया चैनलों से सजीव प्रसारण करने साथ ही राजस्थान पर्यटन विभाग की ओर से डीओआईटी की मदद पूरे राज्य में लगभग 200 स्क्रीन पर दिखाया गया।

Kashish Bohra
Author: Kashish Bohra

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