हाईकोर्ट ने साढ़े 6 करोड़ की जीएसटी चोरी के मामले में गिरफ्तार आरोपी को जमानत दी हैं। जस्टिस चंद्र प्रकाश श्रीमाली ने यह आदेश प्रेम कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी के खिलाफ जो आरोप लगाए गए हैं, उनके विचारण में लंबा समय लग सकता हैं।
वहीं मामले में जो सबूत है, वह इलेक्ट्रॉनिक सबूत है। ऐसे में उनके साथ छेड़छाड़ करने का अंदेशा नहीं है। आरोपी के खिलाफ पहले से कोई आपराधिक प्रकरण भी दर्ज नहीं है। ऐसे में उसे जमानत दी जाती हैं।
5 करोड़ से कम का मामला जमानती अपराध वरिष्ठ वकील आरबी माथुर ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता की कंपनी मैसर्स केशव सीमेंट एजेंसी ने 28 प्रतिशत जीएसटी देकर अल्ट्राटेक सीमेंट कंपनी से सीमेंट खरीदी। उस पर आरोप है कि उसने बिना माल भेजे केवल इनवॉइस के आधार पर 6 करोड़ 49 लाख 33 हजार रुपए की टैक्स चोरी की है।
जबकि जिन दोनों कंपनियों को बिल जारी किए गए। उन दोनों कंपनियों ने उसके आधार पर टैक्स अदा कर दिया। वहीं जब याचिकाकर्ता पर टैक्स चोरी की कार्रवाई की गई। उस दिन 5 करोड़ से ऊपर का मामला नहीं बनता था। जो जमानती अपराध हैं।
लेकिन विभाग ने 5 करोड़ से ऊपर का मामला बनाने के लिए याचिकाकर्ता को गिरफ्तार कर संपूर्ण बिलों की राशि से संबंधित जीएसटी की राशि जोड़कर साढ़े 6 करोड़ की जीएसटी धोखाधड़ी का मामला बनाया हैं।
बिना माल भेजे इनवॉइस के आधार पर धोखाधड़ी की वहीं जीएसटी विभाग की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता ने बिना माल भेजे फर्जी इनवॉइस के आधार पर बिना माल की आपूर्ति के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) पासऑन करके गैर कानूनी लाभ उठाया हैं। वहीं उसकी फर्म को करीब साढ़े 6 करोड़ रुपए से ज्यादा की टैक्स क्रेडिट ट्रांसफर हुई हैं।






