राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि दीक्षांत समारोह शिक्षा का अंत नहीं, अपितु अर्जित ज्ञान के व्यावहारिक उपयोग का शुभारंभ है। विद्यार्थियों को चाहिए कि वे अपने ज्ञान का उपयोग राष्ट्र निर्माण में करें।
राज्यपाल मंगलवार शाम को उदयपुर जिले के भटेवर में स्थित सर पदमपत सिंघानिया विश्वविद्यालय के 12वे दीक्षांत समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल बागडे ने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि भविष्य में किसी भी पद पर रहें अथवा कोई भी काम करें तो लोक कल्याण की भावना को सदैव आगे रखें। ज्ञान का कभी अहंकार नहीं पालें।
राज्यपाल ने युवाओं को समय प्रबंधन का महत्व समझाया। उन्होंने कहा कि भारतीय दर्शन के अनुसार उम्र के पहले 25 वर्ष अध्ययन करते हुए समय को योग्य और समर्पित नागरिक बनाने के है, उसका सदुपयोग करें। समय किसी दुकान पर नहीं मिलता, इसलिए उसका प्रबंधन करना सीखें।
राज्यपाल बागडे ने भारतीय संसद के प्रथम अध्यक्ष जी वी मावलंकर से जुड़ा प्रेरक प्रसंग सुनाते हुए विद्यार्थियों को अन्न की बर्बादी रोकने की भी नसीहत दी। उन्होंने कहा कि हर कार्य में नियोजन का बड़ा महत्व है। ,थाली का नियोजन भी उसी का हिस्सा है। यदि हम कितना खा पाएंगे, उसका अंदाज लगाए बिना थाली भर लें और बाद में वह भोजन व्यर्थ हो तो यह ठीक नहीं है।
राज्यपाल बागडे ने कहा कि वर्ष 2047 तक आजादी की 100वीं वर्षगांठ पर देश को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प है। इसमें युवाओं की बड़ी भूमिका है। उन्होंने सभी से इस संकल्प को साकार करने में योगदान का आह्वान किया। राज्यपाल ने भारतीय ज्ञान कोष को उल्लेख करते हुए युवाओं से उसके बारे में जानने और शोध करने के लिए भी प्रेरित किया। राज्यपाल ने मेवाड़ के शौर्य और बलिदान से प्रेरणा लेते हुए राष्ट्र सेवा के लिए संकल्पित होने का आह्वान किया।
समारोह में राज्यपाल बागड़े की उपस्थिति में विश्वविद्यालय के 321 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई। वहीं कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कोच सेड्रिक डीसूजा, उद्योगपति मनोज सिंघल तथा टीवी अदाकारा अर्चना पूरनसिंह को डाक्ट्रेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में विद्यार्थी गुड़ापली श्रीहरि को कुलाधिपति पदक से नवाजा गया। वहीं तीन अन्य विद्यार्थियों को कुलपति पदक से सम्मानित किया गया।






