जयपुर के सांगानेरी गेट महिला चिकित्सालय में लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां पिछले दिनों हॉस्पिटल में आई एक गर्भवती महिला को गलत ब्लड ग्रुप रिपोर्ट दी गई। मामले का खुलासा कुछ समय पहले हुआ। जब जांच के दौरान दोनों रिपोर्ट (प्राइवेट और सरकारी) को क्रॉस चैक किया गया। गनीमत रही कि इस दौरान महिला को ब्लड नहीं चढ़ाया गया। ये पूरा मामला सामने आने के बाद भी हॉस्पिटल प्रशासन ने इस मामले में हुई लापरवाही पर किसी तरह की जांच नहीं की।
मामला सितंबर का है, जब सांगानेरी गेट महिला चिकित्सालय में एक गर्भवती महिला नियमित जांच के लिए पहुंची। यहां उसने जब ब्लड की जांच करवाई तो महिला का ब्लड ग्रुप O पॉजिटिव बताया गया। इससे पहले जब महिला ने बाजार में निजी क्लिनिक पर जांच करवाई तो उस जांच रिपोर्ट में महिला का ब्लड ग्रुप O नेगेटिव बताया था।
दोनों रिपोर्टों में अंतर का पता काफी समय बाद चला, जब रुटीन जांच के दौरान एक डॉक्टर ने उनकी दोनों जांच रिपोर्ट देखी। दोनों जांच रिपोर्ट देखने के बाद जब क्रॉस चैक के लिए दोबारा जांच करवाई तो उसमें महिला का ब्लड ग्रुप O नेगेटिव ही आया, जिसे देखकर परिजन हैरान रह गए। सूत्रों के अनुसार, अस्पताल प्रशासन ने महिला के परिजन की शिकायत के बाद भी मामले कोई आंतरिक जांच नहीं करवाई।
ये गंभीर लापरवाही
स्त्री रोग विशेषज्ञ के मुताबिक अगर किसी गर्भवती महिला का कोई भी ब्लड ग्रुप अगर नेगेटिव होता है तो उसे पहली प्रेग्नेंसी में 28 से 34 हफ्ते के दौरान एंटी-डी का इंजेक्शन देना पड़ता है। ये इंजेक्शन भी एंटी बॉडी टाईटर की जांच करवाने के बाद दिया जाता है।
अगर ऐसा नहीं करते है तो पैदा होने वाले बच्चे में ब्लड से संबंधित बीमारियां होने का खतरा बहुत ज्यादा रहता है। जबकि उस महिला की दूसरी या तीसरी प्रेग्नेंसी में बहुत ज्यादा कॉम्पलीकेशन आते हैं। वहीं, अगर महिला का ब्लड ग्रुप पॉजीटिव होता है तो उसे एंटी-डी इंजेक्शन की जरूरत नहीं पड़ती।





